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सर्व शिक्षा अभियान की इस बस्ती के लोगों ने खोल दी पोल, कहते हैं क्या करेंगे बच्चों को पढ़ाकर

locationबालोदPublished: Apr 28, 2018 12:14:22 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

कर्ज के बदले बेटी को बेच देने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना में पता चला कि इस बस्ती के समाज व पालकों में अशिक्षा है।

Daughters

सतीश रजक/बालोद. कर्ज के बदले बेटी को बेच देने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना में पता चला कि इस बस्ती के समाज व पालकों में अशिक्षा है। ऐसे में यहां की बेटियां कैसे भविष्य गढ़ेंगी। शासन के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा यहां तक कैसे नहीं पहुंची ये सवाल उठ रहा है।

अशिक्षा के कारण ही एक नाबालिग बेटी की जिंदगी बर्बाद हो गई
ताज्जुब की बात है पर किसी ने अशिक्षा से ग्रसित इस समाज को सुधारने, जागरूक करने का प्रयास नहीं किया, जिसके कारण बस्ती में आज भी कई बेटियां हैं जिनकी शादी कम उम्र में कर दी जा रही है। इधर जिम्मेदार विभाग दावा करता है कि हम ऐसे लोगों को लिए ही लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। पर एक नाबालिग को 20 हजार रुपए में बेच देने की घटना के बाद विभाग के सारे दावों की पोल खुल गई है।

इस गांव में जल्द पहुंचेगी बाल संरक्षण की टीम
पत्रिका ने इन परिवारों को जागरूक करने के लिए जिला बाल संरक्षण विभाग से अपील की है। मामले में बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा जल्द ही गांव की इस बस्ती में जाकर रहने वाले लोगों को जागरूक किया जाएगा।

घिनौने कृत्य को रोकने वाला कोई नहीं
मामले के अनुसार बालोद थाना अंतर्गत एक गांव में पिता ने कर्ज के बदले में 20 हजार रुपए में अपनी 15 साल की नाबालिग बेटी को अपने समाज के व्यक्ति व पड़ोसी को बेच दिया। मामले में युवती की शिकायत पर 6 आरोपियों को जेल भेज दिया गया है, पर आज भी इस बस्ती में रह रहीं नाबालिग बच्चियों के मामले में डर बना हुआ है कहीं इनको भी ऐसी किसी स्थिति से गुजरना न पड़े। मामले में ये बात सामने आई है कि इस गांव में हुई घटना का मुख्य कारण अशिक्षा व अज्ञानता ही है इसी वजह से इस घिनौने कृत्य को रोकने वाला कोई नहीं था।

बस्ती के 20 परिवार में से 100 लोग हैं अशिक्षित
बता दें कि इस समाज की एक बस्ती है, जहां 20 परिवार रहते हैं जिनकी संख्या लगभग 100 है, पर रहने वाले लोग अज्ञानता व अशिक्षा में ही जकड़े हुए हैं। सभी का एक ही काम सांप पकडऩा और उसे लोगों को दिखाकर रोजगार करना है। बच्चों के माता-पिता, दादा-दादी अनपढ़ हैं, पर वे ही बच्चों को अपने जैसा बनाना चाहते हैं।

पढ़ाई को कोई ठिकाना नहीं
जब पत्रिका ने इस बस्ती में जाकर यह जानना चाहा कि क्या यहां के बच्चे पढ़ाई करने स्कूल जाते है, तो यहां चौकाने वाला खुलासा हुआ। इस बस्ती के लगभग 10 बच्चों का नाम स्कूल में दर्ज हैं पर इनकी पढ़ाई का कोई ठिकाना नहीं है। कब स्कूल जाते हैं, कब वहां से गायब हो जाते हैं इसका किसी को पता नहीं है। इसी कारण यहां के बच्चे अशिक्षित जैसे ही पढ़ाई में कमजोर हैं।

नहीं मालूम बच्चों को अपनी उम्र, अंक व शब्द
बच्चों के पालक तो अशिक्षित हैं ही, पर उनके बच्चे भी पढ़ाई में काफी कमजोर हैं। बच्चों को तो खुद की उम्र तक पता नहीं है। यहां तक बच्चे गिनती, वर्णमाला तक नहीं जानते और न पहचानते हैं। उन्हें सिर्फ ये मालूम है कि उनका माता-पिता ने उनका क्या नाम रखा है। बस्ती के बच्चों को देखें तो कम उम्र में ही इनकी स्थिति चिंताजनक है। यहां तक छोटे बच्चे भी पास के आंगनबड़ी केंद्र तक नहीं जाते, इससे विडंबना और क्या हो सकती है।

पढ़ा-लिखाकर क्या करेंगे?
जब यहां के एक व्यक्ति को पूछा गया, तो उनका कहना है यहां अपनी परंपरागत व्यवसाय सांप पकडऩा व सांप दिखाना ही है इसी से पैसे कमाकर परिवार चलाते हैं। बच्चों को पढ़ा-लिखाकर क्या करेंगे? परंपरागत इस काम को ही करने के लिए बच्चों को आगे लाते हंै।

अब बाल संरक्षण विभाग चलाएगा बस्ती में जनजागरुकता अभियान
घटना के बाद अब जिला बाल संरक्षण विभाग इस बस्ती में जाकर उनके पालकों व बच्चों को जागरूक करेंगे। बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास कर ने की बात कही जा रही है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजानद साहू ने बताया इस गांव में साल भर पहले ही केंप लगाकर लोगों को बालसंरक्षण के बारे में जानकारी दी गई थी।

जरूरत इस बस्ती में रहने वाले लोगों को जागरूक करने की है। इस मामले पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजानद साहू ने कहा जल्द ही इस बस्ती में जागरूकता शिविर लगाएंगे। इसके साथ जिला प्रशासन को भी इन परिवारों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे प्रयास करना होगा।

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