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छत्तीसगढ़ में समाज देखना चाहता है आदिवासी मुख्यमंत्री, किसने कहा जरूर पढ़े

locationबालोदPublished: Jun 25, 2018 01:55:57 pm

आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने कहा जो छल-कपट करेगा, जल, जंगल और जमीन से अधिकार छिनेगा समाज ऐसे लोगों को सबक सिखाएगा। समाज प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद पर आदिवासी को ही देखना चाह रहे हैं।

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छत्तीसगढ़ में समाज देखना चाहता है आदिवासी मुख्यमंत्री

बालोद . रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर बड़ी संख्या में जुटकर आदिवासी समाज ने जिला मुख्यालय में ताकत दिखाई। वहीं आदिवासी नेताओं ने जल, जंगल और जमीन के अधिकार को लेकर सरकार को ललकारा। समाज ने पहले सुबह रैली निकाली। उसके बाद सभा में पदाधिकारियों सहित समाज के नेताओं ने कहा हमसे जो हक छिनेगा उसे समाज सबक सिखाएगा। इस दौरान समाज की राजनीति में सक्रियता दिखी। उनका इशारा छत्तीसगढ़ में आदिवासी ही मुख्यमंत्री बने इस ओर था।

छल-कपट करने वालों को समाज सिखाएंगा सबक
ज्ञात रहे रविवार को जिला मुख्यालय के टाउनहाल में समाज ने रानी दुर्गावती की 454 वीं बलिदान दिवस पर सभा की। जहां आयोजन के साथ समाज के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के पदाधिकारी व समाज नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार पर कई मुद्दों पर उंगलियां उठाई। नेताओं व पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि जो आदिवासियों के साथ छल-कपट करेगा, आदिवासियों का जल, जंगल और जमीन से अधिकार छिनेगा ऐसे लोगों को समाज सबक सिखाएगा। इधर समाज आदिवासी को ही प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाह रहे हैं। बातों से स्पष्ट है कि समाज अब हर विधानसभा में अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है।

नंद कुमार का नाम लेकर सोहन पोटई ने दी राजनीतिक हवा
मंच पर पूर्व सांसद सोहन पोटाई और समाज के लोगों ने, तो नंदकुमार साय को मुख्यमंत्री बनाने के संकेत दे रहे थे। सोहन पोटाई ने कहा पुर्रु के कार्यक्रम में आदिवासी समाज के लोग प्रदेश का मुखिया नन्द कुमार साय जैसे होने का नारा लगा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि पर सत्ता पक्ष नंदकुमार साय को इसके योग्य नहीं मानेंगे। पर अगर आदिवासी समाज चाहे तो साय को मुख्यमन्त्री के लिए योग्य बना सकते हैं। सोहन पोटाई के इस बयान से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। उनका कहना था छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को बचाना है तो अब समाज एकजुट हों। इस दौरान पत्थलगड़ी का मामला भी छाया रहा। विचारों का सभी ने समर्थन किया।

अजजा आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष साय बोले बस्तर की हो गई दुर्दशा
सभा में अजजा आयोग भारत सरकार के राष्ट्रीय अध्यक्ष नन्द कुमार साय बोले छत्तीसगढ़ में बस्तर कहां गया? बस्तर की दुर्दशा हो गई है। कभी बस्तर आस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस, ब्राजील सहित अन्य देशों तक पहचान थी, पर आज बस्तर में दुर्दशा है। वहां के मूल लोगों को माओवादी वर्दी पहनाकर लोग माओवादी बना देते हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। कहा सभी समाज एकजुट होकर छत्तीसगढ़ को ऐसा बनाएं कि पूरी दुनिया में नाम हो।

सरकार आदिवासियों की जमीन दूसरों को दे रही
इधर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम ने भी समाज हित व समाज की परेशानी पर अपनी बात रखी। इस दौरान कांकेर लोकसभा के पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने साफ कहा सरकार आदिवासियों के साथ धोखा कर रही है। पत्थलगड़ी जैसे मामले सामने आते हैं। संविधान की पांचवीं अनुसूची में स्पष्ट है कि आदिवासी की जमीन कोई बेच नहीं सकता, पर सरकार क्यों पूंजीवादी लागू कर रही है। सरकार आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण कर दूसरों को दे रही है। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को सरकार उपेक्षित कर रही है। अब समाज को बचाना है। अधिकार को लेना होगा। इसके लिए रानी दुर्गावती व शहीद वीर नारायण बनना होगा।

हर विधानसभा में खड़ा करेंगे अपना प्रत्याशी
इधर सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा अब आदिवासी बहुत सह लिए हैं। अब तो सर्व आदिवासी समाज भी प्रदेश स्तर पर बड़ा निर्णय लिया है और हर विधानसभा में अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। यही नहीं समाज के पढ़ेे-लिखे लोगों से आवेदन भी मंगाए हैं। उन्होंने कहा प्रदेश में चोर-दलालों को भगाना है। इस दौरान समाज के कलाकारों ने आकर्षक आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति देकर लोगो को आनंदित किया।

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