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छत्तीसगढ़ अजब-गजब : छत्तीसगढ़ के इस गांव में 200 साल पुराना है डायन मंदिर

locationबालोदPublished: Jun 02, 2019 12:09:26 am

लोगों को जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक गांव में किसी देवी-देवताओं की नहीं बल्कि एक डायन देवी का मंदिर है। जिसे स्थानीय भाषा में लोग परेतिन दाई के मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर कोई 10-20 साल नहीं बल्कि दो सौ साल पुराना है।

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छत्तीसगढ़ अजब-गजब : छत्तीसगढ़ के इस गांव में 200 साल पुराना है डायन मंदिर

बालोद @ patrika . लोगों को जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक गांव में किसी देवी-देवताओं की नहीं बल्कि एक डायन देवी का मंदिर है। जिसे स्थानीय भाषा में लोग परेतिन दाई के मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर कोई 10-20 साल नहीं बल्कि दो सौ साल पुराना है। ग्रामीणों की मानें तो पहले यह मंदिर नीम वृक्ष के नीचे सिर्फ चबूतरानुमा था। मान्यता और प्रसिद्धी बढऩे के साथ यहां पर जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया है। मंदिर का निर्माण भी देवी को अर्पित ईंटों से किया गया है।

गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम झींका में डायन मंदिर
बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम झींका में सड़क किनारे स्थित है डायन देवी का मंदिर। देवी के प्रति आस्था या डर ऐसा कि बिना दान किए कोई भी मालवाहक वाहन आगे नहीं बढ़ सकता। मंदिर के सामने से होकर गुजरना है तो वहां कुछ भी दान (अर्पण/चढ़ाना) करना अनिवार्य है। अगर आप मालवाहक वाहन से जा रहे हैं तो वाहन में जो भी सामान भरा है उसमें से कुछ-न-कुछ चढ़ाना अनिवार्य है। चाहे ईंट, पत्थर, पैरा, हरी घास, मिट्टी, सब्जी, भाजी आदि क्यों न हो। ग्रामीणों की मानें तो नहीं चढ़ाने पर अनिष्ट या वाहनों में खराबी आ जाती है। ऐसा कई बार हो चुका है।

ईंट का इस्तेमाल गांव के विकास कामों में
मंदिर में ईंट इतनी अधिक संख्या में चढ़ती है कि मंदिर निर्माण के अलावा गांव के अन्य विकास कामों में किया जाता है। यहां पर सबसे ज्यादा चढऩे वाली चीजों में ईंट ही अधिक है।

जानकर अनजान बनने में दिक्कत
यह भी बताया जाता है कि कोई भी मंदिर के बारे में जान कर अनजान बन जाता है तो उसे आगे की सफर में परेशानी होती है। यदि अनजान व्यक्ति है तो उसे देवी क्षमा कर देती है।

 

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दूध फट जाता है
गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) अगर मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है। ग्रामीण माखन लाल ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना और मंदिर की बड़ी मान्यता है। गांव में भी बहुत से ठेठवार है जो रोजाना दूध बेचने आस-पास के गावों और शहर जाते हैं। इस मंदिर में दूध चढ़ाना ही पड़ता है। अगर जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया गया तो दूध खराब हो (फट) जाता है।
दोनों नवरात्र में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित
परेतिन देवी किसी का बुरा नहीं करती है। वे राहगीरों सहित सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करती है। यहीं कारण है कि दोनों नवरात्र पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं। ग्रामीण राजू सिन्हा ने बताया कि परेतिन दाई हमेशा सबका भला करती है। जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना करें तो उनकी मांगें पूरी हुई है।
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