पत्रिका से चर्चा करते हुए इंस्पेक्टर पदमा जगत ने बताया कि जब वह आठ साल की थी और कक्षा तीसरी में पढ़ाई करती थी, तभी उन्होंने एक फिल्म देखी, जिसका नाम हरि वर्दी था। इस फिल्म में पुलिस का किरदार देख व पुलिस वर्दी में लोगों के लिए अच्छे कार्य देख प्रभावित हुई। फिर खुद पुलिस बन गई। अब लोगों की सेवा कर रही हैं।
पदमा जगत ने बताया कि उनका जन्म 27 मार्च 1984 में महासमुंद जिले के एक छोटे से ग्राम भैरोपुर में हुआ। पहले यह गांव काफी पिछड़ा था, लेकिन आज गांव विकसित हो गया है। बचपन में वह कुछ अलग करने की जिद करती थी। उनके माता-पिता व परिजन ज्यादा पढ़ाई न करके सिर्फ घर का काम करने कहते थे, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी। घर के काम के साथ पढ़ाई भी करती थी। पढ़ाई के लिए ईंट भ_े में जाकर ईंट भी बनाती थी।
टीआई पदमा ने बताया कि उन्होंने 2016 में उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में जाकर मानव तस्करों के चंगुल से बालोद जिले की 6 लड़कियों को छुड़ाया था। मानव तस्करी के मुख्य आरोपी को भी गिरफ्तार किया था। इस बेहतर कार्य के लिए उन्हें राज्य बाल संरक्षण आयोग ने सम्मानित भी किया है। पदमा कहती हैं कि वह हर हाल में पुलिस बनने का अपना सपना पूरा करना चाहती है। प्राथमिक शिक्षा के बाद जब वह उच्च शिक्षा के लिए गई तो खेल के क्षेत्र में भी आगे आई। एथलेटिक्स में भी भाग लिया। वह स्कूल पढ़ाई के दौरान दौड़ में हरियाणा, दिल्ली व जालंधर में नेशनल जीता। एनसीसी में रहकर दिल्ली के राजपथ की परेड में शामिल हुई। जहां उन्हें गोल्ड मेडल मिला।
पदमा जगत 2006 में आरक्षक के रूप में रायपुर में चयन हुआ था। उसकी इंस्पेक्टर बनने की इच्छा थी, जिसकी तैयारी में लगी रही। सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुई। कुछ कारणों से वह डयूटी ज्वाइन नहीं कर पाई। साल 2013 में ट्रेनिंग लेने के बाद दुर्ग में परिवीक्षा परेड में रही। उनकी पहली पोस्टिंग 13 जून 2016 को बालोद जिले के दल्लीराजहरा थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में हुई। 16 महीने में ही टीआई के पद पर प्रमोशन मिल गया। वर्तमान में वह बालोद महिला सेल की प्रभारी है।