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ये है बालोद जिले की लेडी सिंघम, कभी करती थी ईंट भट्ठे में काम, आज TI बनकर महिलाओं को कर रही सशक्त

locationबालोदPublished: Mar 08, 2021 10:59:42 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

International Women’s Day 2021: बचपन में माता-पिता के साथ ईंट भट्ठे में काम करने वाली पदमा फिल्मों में पुलिस का किरदार देखकर खुद पुलिस ऑफिसर बनने का सपना देखती थी।

ये है बालोद जिले की लेडी सिंघम, कभी करती थी ईंट भट्ठे में काम, आज TI बनकर महिलाओं को कर रही सशक्त

ये है बालोद जिले की लेडी सिंघम, कभी करती थी ईंट भट्ठे में काम, आज TI बनकर महिलाओं को कर रही सशक्त

बालोद. बचपन में माता-पिता के साथ ईंट भट्ठे में काम करने वाली पदमा फिल्मों में पुलिस का किरदार देखकर खुद पुलिस ऑफिसर बनने का सपना देखती थी। इसलिए गरीबी और विपरीत हालातों में भी खुद को टूटने नहीं दिया। आज बालोद जिले की इंस्पेक्टर बनकर लोगों की सेवा कर रही है। बेहद कम समय में पदमा की मेहनत, बच्चों व महिलाओं से संबंधित मामले सुलझाने, तेज तर्रार व शालीनता के साथ कार्रवाई को देखकर जिले के लोग उन्हें प्यार से लेडी सिंघम कहते हैं।
महिला दिवस पर मूल रूप से महासमुंद जिले के बसना थाना क्षेत्र के ग्राम भैरवपुर की रहने वाले किसान गुलाल जगत व गणेशी बाई की बेटी और बालोद महिला सेल प्रभारी महिला इंस्पेक्टर 37 वर्षीय पदमा जगत कहती है कि सपना देखना ही काफी नहीं है। सपने को पूरा करने के लिए लडऩा भी जरूरी है। महिलाओं व नाबालिग बच्चों पर हो रहे आत्याचार को रोकने पदमा ने पुलिस विभाग के साथ मिलकर रक्षा टीम का गठन किया। स्कूल, कॉलेज सहित महिलाओं के पास जाकर उन्हें खुद की रक्षा करने के तरीके बताती हैं। वर्तमान में 4500 से भी अधिक महिलाओं व छात्राओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
ये है बालोद जिले की लेडी सिंघम, कभी करती थी ईंट भट्ठे में काम, आज TI बनकर महिलाओं को कर रही सशक्त
फिल्म में पुलिस को हीरो बनते देख मिली प्रेरणा
पत्रिका से चर्चा करते हुए इंस्पेक्टर पदमा जगत ने बताया कि जब वह आठ साल की थी और कक्षा तीसरी में पढ़ाई करती थी, तभी उन्होंने एक फिल्म देखी, जिसका नाम हरि वर्दी था। इस फिल्म में पुलिस का किरदार देख व पुलिस वर्दी में लोगों के लिए अच्छे कार्य देख प्रभावित हुई। फिर खुद पुलिस बन गई। अब लोगों की सेवा कर रही हैं।
बचपन से कुछ अलग करने की थी जिद
पदमा जगत ने बताया कि उनका जन्म 27 मार्च 1984 में महासमुंद जिले के एक छोटे से ग्राम भैरोपुर में हुआ। पहले यह गांव काफी पिछड़ा था, लेकिन आज गांव विकसित हो गया है। बचपन में वह कुछ अलग करने की जिद करती थी। उनके माता-पिता व परिजन ज्यादा पढ़ाई न करके सिर्फ घर का काम करने कहते थे, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी। घर के काम के साथ पढ़ाई भी करती थी। पढ़ाई के लिए ईंट भ_े में जाकर ईंट भी बनाती थी।
बेहतर कार्य के लिए मिला सम्मान
टीआई पदमा ने बताया कि उन्होंने 2016 में उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में जाकर मानव तस्करों के चंगुल से बालोद जिले की 6 लड़कियों को छुड़ाया था। मानव तस्करी के मुख्य आरोपी को भी गिरफ्तार किया था। इस बेहतर कार्य के लिए उन्हें राज्य बाल संरक्षण आयोग ने सम्मानित भी किया है। पदमा कहती हैं कि वह हर हाल में पुलिस बनने का अपना सपना पूरा करना चाहती है। प्राथमिक शिक्षा के बाद जब वह उच्च शिक्षा के लिए गई तो खेल के क्षेत्र में भी आगे आई। एथलेटिक्स में भी भाग लिया। वह स्कूल पढ़ाई के दौरान दौड़ में हरियाणा, दिल्ली व जालंधर में नेशनल जीता। एनसीसी में रहकर दिल्ली के राजपथ की परेड में शामिल हुई। जहां उन्हें गोल्ड मेडल मिला।
आरक्षक के रूप में हुआ था पहले सलेक्शन
पदमा जगत 2006 में आरक्षक के रूप में रायपुर में चयन हुआ था। उसकी इंस्पेक्टर बनने की इच्छा थी, जिसकी तैयारी में लगी रही। सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुई। कुछ कारणों से वह डयूटी ज्वाइन नहीं कर पाई। साल 2013 में ट्रेनिंग लेने के बाद दुर्ग में परिवीक्षा परेड में रही। उनकी पहली पोस्टिंग 13 जून 2016 को बालोद जिले के दल्लीराजहरा थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में हुई। 16 महीने में ही टीआई के पद पर प्रमोशन मिल गया। वर्तमान में वह बालोद महिला सेल की प्रभारी है।
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