scriptबालोद: जेल प्रहरी की बेटी बनी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ऑफिसर, गदगद पिता बोले छाती चौड़ी हो गई | Jail Prahari's daughter became Scientist Officer at BARC | Patrika News

बालोद: जेल प्रहरी की बेटी बनी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ऑफिसर, गदगद पिता बोले छाती चौड़ी हो गई

locationबालोदPublished: Jan 11, 2021 01:42:27 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

बालोद की 26 वर्षीय बेटी स्वाति साहू अब मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में साइंटिफिक ऑफिसर वैज्ञानिक का पद संभालेगी।

बालोद: जेल प्रहरी की बेटी बनी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ऑफिसर, गदगद पिता बोले छाती चौड़ी हो गई

बालोद: जेल प्रहरी की बेटी बनी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ऑफिसर, गदगद पिता बोले छाती चौड़ी हो गई

बालोद. बालोद की 26 वर्षीय बेटी स्वाति साहू अब मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में साइंटिफिक ऑफिसर वैज्ञानिक का पद संभालेगी। बेटी की इस उपलब्धि के लिए परिजनों व उनके माता पिता ने मुंह मीठा कराकर बधाई दी। स्वाति मूल रूप से खरोरा की रहने वाली है। वर्तमान में वह बालोद में रहती हैं। दरअसल बालोद उपजेल में जेल प्रहरी के पद पर पदस्थ धनेश कुमार साहू की बेटी है। इस वजह से वह जेल कॉलोनी में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं। स्वाति को 17 जनवरी से ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया है, जिसकी तैयारी में वे जुट गई हैं।
बालोद: जेल प्रहरी की बेटी बनी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ऑफिसर, गदगद पिता बोले छाती चौड़ी हो गई
शुरू से मेधावी स्वाति ने जिले को दिलाई नई पहचान
स्वाति साहू ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा बेमेतरा में हुई है। उसके बाद नवोदय विद्यालय बोरई से बारहवीं की पढ़ाई के बाद बिलासपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह शुरू से ही इसी क्षेत्र में जाना चाहती थीं। इसके लिए साल 2017 में ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। 2019 में गेट वेकेंसी के बाद इसकी तैयारी में जुट गई थीं। फिर गेट से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की लिखित परीक्षा के लिए नाम आया। लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण की, लेकिन उस समय अंतिम सूची में नाम नहीं आया। फिर तैयारी की। 2020 में फिर लिखित परीक्षा दिलाई और इस बार उन्हें सफलता मिल गई।
लक्ष्य लेकर करें तैयारी, जरूर मिलेगी सफलता
स्वाति ने बताया कि वह अपनी पढ़ाई जिम्मेदारी से करती है। व्यर्थ की चीजों पर ध्यान ही नहीं देती। सिर्फ अपने लक्ष्य को लेकर पढ़ाई करती हैं। तब जाकर सफलता मिली है। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। बेटी की इस उपलब्धि पर उनके पिता धनेश व उनकी मां खुश हंै। उन्होंने कहा कि हमें अपनी बेटी पर गर्व है।
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