बालोदPublished: Dec 04, 2022 11:49:15 pm
Chandra Kishor Deshmukh
आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के संरक्षण व अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित मांझी सरकार के सैनिक आज भी जिंदा हैं। नेतृत्वकर्ता कंगला मांझी (हीरा सिंह देव) के 38वें शहादत दिवस पर 5 दिसंबर को उनकी समाधि स्थल डौंडीलोहारा विकासखंड के बघमार में मांझी सरकार के सैनिक सलामी देंगे।
बालोद. आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के संरक्षण व अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित मांझी सरकार के सैनिक आज भी जिंदा हैं। नेतृत्वकर्ता कंगला मांझी (हीरा सिंह देव) के 38वें शहादत दिवस पर 5 दिसंबर को उनकी समाधि स्थल डौंडीलोहारा विकासखंड के बघमार में मांझी सरकार के सैनिक सलामी देंगे। मांझी के पुत्र केडी कांगे ने बताया कि 1914 में अंग्रेजों ने बस्तर के आदिवासियों को दबाने की कोशिश की थी। सैकड़ों हत्याएं हुर्इं। इसी दौरान जेल में मांझी की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। 1920 में कोलकाता में महात्मा गांधी से मिले। मांझी को राष्ट्रीय नेताओं का सहयोग मिलना शुरू हो गया। उन्होंने सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद फौज की तरह वर्दीधारी सैनिकों की फौज तैयार की।