किसानों के साथ किया जा रहा धोखा
इधर जानकारी अनुसार शासन ऐसे किसी काम के लिए किसी की किसानी जमीन को अधिगृहीत करता है, तो उसमें शासन के निर्धारित मापदंडों के तहत शासकीय मूल्य से जमीन का मुआवजा चार गुना अधिक दिया जाता है, पर यहां किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है। इस संबंध में जानकारी के लिए विभाग के अधिकारियों से फोन पर लगातार संपर्क किया गया, पर सवाल पर कोई भी जवाब नहीं दे पाए।
इन किसानों की जमीन ली गई
देवगहन से रौना सड़क निर्माण के लिए किसान विभीषण कुम्हार पिता झन्नूलाल खसरा नंबर 124, बलवंत पिता भूषण बरई खसरा नंबर 125/1, प्रीति-दानेश्वरी कोष्टा खसरा नंबर 126/1, प्रीति-दानेश्वरी कोष्टा/ओमप्रकाश खसरा नंबर 127, प्रभूराम निषाद पिता उमेंद्र निषाद खसरा नंबर 131, लक्ष्मण सिंह गोंड़ पिता विश्राम सिंह खसरा नंबर 139, गजेंद्र कुमार पिता पुनीत केंवट खसरा नंबर 166, दसरी बाई, फगनी, कौशिल्या, सगुन बाई कुर्मी पिता राम्हुराम खसरा नंबर 167, सनपत, गनपत पिता श्री कला केंवट खसरा नंबर 168, हुबलाल, गोविंद, पन्नालाल, मुखी बाई पिता जिवराखन गोंड़, पिरधी बाई, झुन्नी बाई पिता आनंदराम गोंड़ खसरा नंबर 169 की जमीन ली गई है।
इधर मामले में पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर जांगड़े जो उक्त निर्माण कार्य देख रहे हैं वे किसी तरह का जावाब देने से बचते रहे। उन्होंने एसडीओ एएस नाथ से संपर्क करने कहा और जांगड़े ने एसडीओ नाथ का मोबाइल नंबर 9424228926 उपलब्ध कराया, पर उक्त नंबर पर सामने वाले ने रांग बताया। वहीं पटवारी श्रवण ठाकुर से मोबाइल नंबर 8965862053 आउट आफ रेंज बताया। वहीं निर्माण एजेंसी ठेकेदार मनोज कुमार वैद्य से भी फोन पर संपर्क किया गया, पर वे भी फोन रिसीव नहीं किए।
जानकारी मिली है कि 4.62 करोड़ में पुल व सड़क निर्माण का काम ठेका बीलो रेट पर ठेकेदार मनोज कुमार वैद्य ने लिया है। मुआवजे की राशि इसी में ही मैनेज की जा रही है, इसलिए किसानों को मुआवजा देने से बचा जा रहा था। आप ही सोचें कोई अपनी जमीन किसी को फ्री में कैसे दे देंगे, जिससे रोजी-रोटी जुड़ी हो।
हाल में चर्चा में संबंधित किसानों ने कहा है कि उन्हें अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उनकी जमीन का मुआवजा दो माह के अंदर मिल जाएगा। यदि मुआवजा नहीं दिया गया तो सड़क खोद देना ऐसा अधिकारी ने कहा है। ज्ञात रहे कि किसान मुआवजे को लेकर सशंकित हैं। क्योंकि बालोद जिले के एक गांव में ऐसे ही पुल व सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिगृहीत की गई जिसका सालों बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया है।
ग्राम रौना सरपंच चंदूलाल कुंभकार ने कहा मुझे इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है। किसानों के अनुसार एकड़ हिसाब से मुआवजा स्वीकृत हो चुका है। इस संबंध में देवगहन के सरपंच लोकेंद्र से पूछ सकते हैं।
ग्राम देवगहन सरपंच लोकेंद्र साहू ने बताया इस मामले में पहले पीडब्ल्यूडी ने मुआवजा नहीं मिलने की बात कह हमें गुमराह किया। उसके बाद किसानों ने मामले को जिला प्रशासन के पास रखा, तब जाकर पहल हुई। शासन के निर्धारित रेट के अनुसार 11.75 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा तय हुआ है।
किसानों ने बताया कि उनकी किसानी जमीन पर बिना अनुमति पोल गाड़ दिया गया था। इस संबंध में जानकारी ली गई तो बताया गया कि इस रास्ते पर सड़क का निर्माण किया जाएगा। किसानों ने ग्राम सुराज अभियान के दौरान इस संबंध में आवेदन भी दिया था। सनौद में आयोजित लोक समाधान शिविर में मंच पर आवाज उठाने पर अधिकारी चर्चा करने पर राजी हुए। इसके अलावा किसानों ने 30 जनवरी को कलक्टर जनदर्शन में किसानों की जमीन लेने पर मुआवजा राशि देने आवेदन लगाया है। किसानों ने कहा कि हमारी रोजी-रोटी से जुड़ा मामला है इसके बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे। किसानों ने बताया कि जब लोक निर्माण विभाग के अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि वर्तमान में देवगहन से रौना के बीच सड़क निर्माण के लिए प्राप्त स्वीकृति में मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है। अत: इस स्वीकृति के बाद किसी भी प्रकार के मुआवजा राशि प्रदाय करना विभाग द्वारा संभव नहीं होगा।
ज्ञात रहे कि लोक निर्माण विभाग की मनमानी शुरूआत में ही दिख रही थी। मुआवजा नहीं देना है ये सोचकर खेतों में सड़क निर्माण करने के लिए बिना किसानों की अनुमति के उनकी खेती की जमीन पर पोल गाड़ दिया गया था। आपत्ति के बाद भी खंभे नहीं हटाए गए। संबंधित लोग मुआवजा पर कोई बात नहीं कर रहे थे। इससे ग्रामीणों में गुस्सा था।