जानकारी अनुसार विभाग के बाबू ने ही कॉलेज में छात्र-छात्राओं से हर साल लिए जाने वाले जनभागीदारी शुल्क में गड़बड़ी की है। गड़बड़ी एक-दो नहीं बल्कि 9 लाख रुपए की है। इसकी कॉलेज प्रबंधन को पूरी जानकारी होने के बावजूद मामले को दबाए रखा गया। पत्रिका इस बड़े मामले का खुलासा कर रहा है, तब जाकर वर्तमान प्राचार्य ने मामले पर कार्रवाई करने की बात कही है।
ज्ञात रहे कि विद्यार्थियों से महाविद्यालय विकास के लिए ली जाने वाली जनभागीदारी शुल्क का यहां सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। कॉलेज के पूर्व प्राचार्य ने इस मामले में जांच भी कराए थे, जांच में गड़बड़ी की पुष्टि भी हुई। जांच दल ने रिपोर्ट भी प्राचार्य को सौंपी थी, पर भी इस मामले में दोषी पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। इसलिए शासकीय राशि में लाखों की गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी अभी भी बिंदास है। कहा जाए कि कॉलेज प्रबंधन ही दोषी को संरक्षण दे रहे हैं।
इस मामले में पूर्व प्राचार्य मिश्रा ने कहा जनभागीदारी की राशि मामले में गड़बड़ी सामने आई थी। हमने गड़बड़ी करने वाले बाबू को दो दिन का समय दिया था, पर दो दिन में राशि जमा की है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। गड़बड़ी की है तो इस पर कार्रवाई होना चाहिए।
कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह गड़बड़ी बीते 6 माह से चल रही है, पर किसी को भनक तक नहीं लगी। जब जनभागीदारी निधि की राशि जमा करने वाले कॉलेज के सहायक ग्रेड-2 अधिकारी कुलेश्वर बघेल की कार्यप्रणाली व हाव-भाव में परिवर्तन देखा गया, तो गड़बड़ी की आशंका हुई। उसके बाद पूर्व प्राचार्य मिश्रा ने 15 दिन पहले ही इस मामले की जांच करने चार सदस्यीय टीम बनाई थी। टीम ने जांच रिपोर्ट भी पूर्व प्राचार्य को सौंपी थी। रपोर्ट में गड़बड़ी होने की पुष्टि हुई थी, पर भी मामले में अब तक संबंधित पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। पहली जांच में 9 लाख, 7 हजार रुपए की गड़बड़ी होने की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि इस मामले की सहीं जांच कराई जाए तो और भी गड़बड़ी सामने आ सकती है।