मांग अब भी यथावत
1958 में बने दल्लीराजहरा स्टेशन की स्थिति अब तक नहीं सुधर पाई है। यहां के लौह अयस्क खदानों से प्राप्त लौह अयस्क परिवहन के बदले करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाने के बावजूद रेल मंत्रालय ने मुसाफिरों की महत्वपूर्ण मांगों की अनदेखी की है। यात्रियों ने कहा कि क्षेत्रवासियों की मांग पर दल्ली-दुर्ग पैसेंजर को रायपुर तक बढ़ाने एवं वाहन पार्किंग व्यवस्था को छोड़कर लंबित अन्य सभी मांगें यथावत हैं।
प्लेटफॉर्म की लंबाई बढ़ी, शेड की नहीं
पहले दल्लीराजहरा स्टेशन के प्लेटफॉर्म की लंबाई 200 मीटर थी। 2012-13 में इसकी लंबाई 75 मीटर और बढ़ाई गई। इसका निरीक्षण करने पहुंचे तत्कालीन डीआरएम रायपुर ने कहा था कि वर्तमान में इस रेलवे स्टेशन में प्लेटफॉर्म की लंबाई को 75 मीटर और आगे बढ़ाया जा रहा है। प्लेटफॉर्म की लंबाई बढऩे के बाद ही शेड की भी लंबाई बढ़ाई जाएगी, जिसका निर्माण शीघ्र किया जाएगा। प्लेटफॉर्म की लंबाई तो बढ़ गई, लेकिन शेड की लंबाई बढ़ाने के लिए दिए गए आश्वासन के पांच साल बाद भी रेलवे स्टेशन में यात्री शेड की लंबाई नहीं बढ़ाई जा सकी है।
यात्रियों के लिए शेड छोटा
यात्रियों ने कहा कि राजहरा स्टेशन में वर्षों पूर्व बना श्ेाड अत्यंत छोटा है, जो लगभग 10 मीटर लंबाई का है। यहां की कुर्सी में कुछ यात्री ही बैठ सकते हैं। ज्यादातर यात्री शेड के नीचे फर्श पर बैठते हैं या खड़े रहते हैं। छोटे शेड कारण गर्मी के दिनों में अधिकांश यात्रियों की भीड़ को तेज धूप में खड़े होकर ट्रेन आने का इंतजार करना पड़ता है तो वहीं बारिश के दिनों में यात्रियों व इन्हें छोडऩे या लेने आए परिजन प्लेटफॉर्म में छाता व रेनकोट के सहारने इंतजार करना पड़ता है।