सोमवार को बालोदगहन नर्सरी में मृत तेंदुए का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार किया गया। मौके पर सीएफ शालिनी रैना, डीएफओ सतोविशा समाजदार, एसडीओ शुक्ला, रेंजर नांदुलकर, डीएसपी दिनेश सिन्हा, गुरुर थाना प्रभारी मनीष शर्मा एवं वन विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। दुर्घटना के बाद ग्राम पुरूर से चारामा मार्ग पर जाम लग गया था। लोग दहशत में थे और तेंदुआ को देखकर आगे जाने से डर रहे थे। पुलिस का फॉलो वाहन पहुंचने के बाद आवागमन शुरू हुआ।
अज्ञात वाहन की ठोकर से तेंदुए की मौत हो गई। सड़क पर तेंदुए की लाश के चलते गाडिय़ों की लंबी लाइन लग गई। लोगों ने तेंदुए को देखकर वन विभाग को इसकी सूचना दी। इसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पुलिस ने भी व्यवस्था संभाली। रात में ही वन मंडल अधिकारी सहित पूरी टीम घटनास्थल पर पहुंची।
अधिकारी की माने तो वन विभाग ने वन्य प्राणी को बचाने इन मार्गों पर सूचना बोर्ड भी लगाए हैं। वाहन चालक जागरूक नहीं होते और नेशनल हाइवे मार्ग है, इसलिए 70 से 80 की स्पीड में गाडिय़ां चलाते हंै, यही वजह है कि वन्य प्राणी वाहन की चपेट में आ जाते हैं। जबकि वाहन की स्पीड लगभग 40 किमी प्रति घंटे रहनी चाहिए।
विभाग ने इस मामले में किसी को कोई संदेह न हो, इसलिए पुलिस अधिकारी व वन विभाग (Forest department) के अधिकारियों की उपस्थिति में सीएफ ने फोरेंसिक जांच (Forensic investigation) के लिए तेंदुआ के हार्ट व लीवर का सैंपल लिया है।
शासन से की स्पीड ब्रेकर बनवाने की मांग
वन मंडल अधिकारी सतोविशा समाजदार ने बताया कि इस तरह की घटनाएं दुखद है। घटनाओं को रोकने उन्होंने शासन को पत्र लिखकर स्पीड ब्रेकर बनाने की बात कही। उन्होंने बताया कि लगातार बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं कि यह वन्य प्राणियों का क्षेत्र है कृपया वाहन धीरे चलाएं। बावजूद रफ्तार में किसी तरह की कोई कमी नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि सड़कों तक जानवर न पहुंचे, इसके लिए हम उनके खाने और पानी की व्यवस्था जंगल में ही कर रहे हैं।