देखा जा रहा है कि शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन कहीं न कहीं आयोजन, शादी समारोह या पार्टी चल रहा है। इन आयोजन में संबंधित लोगों को बच्चों की परीक्षा का कोई ध्यान नहीं है, उन्हें केवल अपने आयोजन या खुशियां दिखाने से मतलब है। ज्ञात रहे परीक्षा के दौरान किसी तरह के शोर-गुल करने पर प्रशासन से प्रतिबंध है, फिर भी लोग आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। वहीं संबंधित विभाग भी ऐसे शोर-गुल की अनदेखी कर रहे हैं।
देखा जा रहा है कि आयोजनों में बजने वाले डीजे व लाऊड स्पीकर की आवाज इतनी अधिक होती है कि हर वर्ग के लोग इससे परेशान हो रहे हैं। कक्षा 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी आने वाले माह के प्रथम सप्ताह में शुरू होने वाली है। ऐसे मे परिजन को चिंता सता रही है कि कहीं इस शोर-शराबे से बच्चों का भविष्य चौपट न हो जाए। यह सब जवाबदारों की आंखों के सामने हो रहा है लेकिन अभी तक इन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई आगे नहीं आया है।
इधर शादी-विवाह और धार्मिक कार्यक्रमों में बज रहे डीजे और बैंड-बाजों के शोर ने छात्र-छात्राओं को परेशान कर रखा है। अब समस्या ये है कि पढऩे करने वाले कहां जाएं। इस शोर से जहां बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है, वहीं नींद पूरी नहीं होने पर उनके परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य की चिंता भी बढ़ा दी है।
आपको बता दें कि शादियों के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमानुसार जिस मानक से दिन और रात में बैंड-बाजा और ध्वनि विस्तारक यंत्र बजना चाहिए उसकी अनदेखी करते हुए नियमों से हटकर डबल डेसीबल शोर के साथ ध्वनि विस्तारक यंत्र बजाए जा रहे हैं। वैसे प्रशासन द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्र पर अभी तक रोक नहीं लगाई जा सकी है जिसके कारण लोग आयोजनों में धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे हैं। देर रात तक इन ध्वनि विस्तारक यंत्रों की आवाज गली मोहल्लों में सुनाई दे रही है।