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चलित चिकित्सा इकाई बंद, आदिवासी फिर बैगा-गुनिया की शरण में

locationबालोदPublished: Aug 06, 2019 12:11:29 am

बालोद जिले के डौंडी ब्लाक के सुदूर ग्रामीण अंचलों के लोगों को घर पहुंच चिकित्सा सुविधा बन्द हो गई है। अब ग्रामीणों को इलाज के लिए कई किमी की दूरी तय कर अस्पताल जाना पड़ेगा। डौंडी ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्र में चल रही चलित अस्पताल योजना को ही बीते डेढ़ साल से बंद कर दिया गया है।

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चलित चिकित्सा इकाई बंद, आदिवासी फिर बैगा-गुनिया की शरण में

बालोद @ patrika. जिले के डौंडी ब्लाक के सुदूर ग्रामीण अंचलों के लोगों को घर पहुंच चिकित्सा सुविधा बन्द हो गई है। अब ग्रामीणों को इलाज के लिए कई किमी की दूरी तय कर अस्पताल जाना पड़ेगा। डौंडी ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्र में चल रही चलित अस्पताल योजना को ही बीते डेढ़ साल से बंद कर दिया गया है।
किसके आदेश पर बंद किया किसी को जानकारी नहीं
ब्लॉक के वन क्षेत्र के गांवों की दूरी अस्पताल से लगभग 10 किमी है। ऐसे में ग्रामीणों को फिर मुसीबतों का सामना करना पड़़ रहा है। इस महती योजना का संचालन सन् 2017 से जनवरी 2018 तक किया गया। बाद में इस योजना को ही बंद कर दी गई। इस चलित चिकित्सा वाहन से लोगों को बड़ी राहत मिल रही थी। योजना किस कारण और किसके आदेश-निर्देश पर बंद किया गया इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग भी नहीं दे पा रहा है।
खनिज न्यास निधि से 2017 में जनवरी 2018 तक हुआ संचालन, उसके बाद से है बंद
बता दें कि पूर्व कलक्टर राजेश सिंह राणा के कार्यकाल में खनिज न्यास निधि से सन् 2017 से जनवरी 2018 तक यह मोबाइल यूनिट (चलित चिकित्सालय) का संचालन हुआ। जब से कलक्टर का तबादला हुआ उसके कुछ माह बाद ही इस योजना को बंद कर दिया गया। उनके बाद आए नए कलक्टर सारांश मित्तल के कार्यकाल से योजना बंद है।
17 गांवों को मिल रही थी सुविधा
मिली जानकारी के अनुसार मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा डौंडी ब्लाक के दूरस्थ 17 गांवों के ग्रामीणों को इलाज की सुविधा मिल रही थी। इन गांवों में कटरेल, पेवारी, रजोलीडीह, तुमड़ीसुर, जबकसा, उरझे, भुरकाभाट, हिडकापार, वनपंडेल, पल्लेकसा, केशोपुर, मर्रामखेड़ा, परसबिहरी, देवापांडुम, जुनवानी, तुएदंड, नारंगसुर आदि शामिल थे। इन गांवों के लोगों को नियमित के अलावा 24 घंटे आपातकालीन की सुविधा मिल रही थी। ग्रामीण भी बिना सूचना के योजना को बंद करने पर नाराज है। ग्रामीणों ने शासन से योजना को संचालित करने की मांग की है। इन गांवों में कई ऐसे गांव है जहां सड़क मार्ग जर्जर है। कई लोगों के पास आवागमन के साधन भी नहीं है। साधन के अभाव में वे अस्पताल भी नहीं पहुंच सकते हैं।
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इलाज के साथ अंधविश्वास को भी कर रहे थे दूर
समय पर इलाज की सुविधा नहीं मिल पाने के कारण लोगों को छोटी-मोटी बीमारी में भी झाडफ़ूंक और बैगा गुनिया का सहारा लेते थे। चिकित्सा सुविधा मिलने के बाद लोगों में वर्षों से व्याप्त अंधविश्वास (blind faith) दूर हो रहा था। समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से लोगों की जान भी बच रही थी और लोगों का भरोसा एलोपैथी उपाचर पर बढ़ रहा था। अचानक योजना बंद हो जाने से लोग फिर बीमार पडऩे पर झाडफ़ूंक का सहारा लेने लगे हैं।
मोबाइल मेडिकल यूनिट से हो रहे थे ये फायदे
आदिवासी क्षेत्र जहां डॉक्टरी इलाज (treatment) की सुविधा नसीब नहीं होती थी, वहां अधिकतर आदिवासी बैगा गुनिया के झांसे में पड़ते थे। कई बार इस चक्कर में मरीज की हालत और बिगड़ जाती थी। चलित चिकित्सा योजना से आदिवासी ग्रामीण बैगा गुनिया के चक्कर में न पड़ डॉक्टर से इलाज करवा रहे थे। इस योजना की शुरुआत सिर्फ डौंडी ब्लॅाक में की गई थी।

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यह था योजना का उद्देश्य
दरअसल जिले में आज भी कई इलाको में दूर दूर तक पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) भी नहीं है ऐसे इलाकों में लोगों को घर बैठे इलाज की सुविधा देने जिले में इस चलित अस्पताल सेवा शुरू की थी। योजना के मुताबिक वैन के भीतर चलने वाली मेडिकल यूनिट छोटे से अस्पताल की तरह बनाया गया था। इसमें एक डॉक्टर, एक नर्स, एक वार्ड ब्वॅाय, लैब अटेंडेंट और फार्मासिस्ट के अलावा रेडियोलाजिस्ट की भी सुविधा थी। वैन के भीतर इसीजी, एक्स-रे और खून, पेशाब समेत कई पैथोलाजी जांच की सुविधा थी। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चलने वाली मोबाइल मेडिकल यूनिट दूर दराज के इलाकों के लिए थी। इस यूनिट के सहारे ही इलाज की सुविधा मरीजों को दी जाती और गंभीर मरीजों को संजीवनी 108 से बड़े अस्पातल भेजने की सुविधा भी शामिल थी।
स्वास्थ्य विभाग को पता नहीं क्यों बंद हुई योजना
विभाग ने माना कि यह योजना अच्छी और इसका अच्छा असर व लोगों को लाभ मिल रहा था।विभाग यह नहीं बता पा रहा कि आखिर क्यों और किस कारण से योजना को बंद कतर दी गई।
कारण पता नहीं
सीएमएचओ बी एल रात्रे ने बताया कि योजना का संचालन खनिज न्यास निधि से सन् 2017 से 2018 तक किया गया। तत्कालीन कलक्टर राजेश सिंह राणा के तबादले के बाद नए कलक्टर डॉ. सरांस मित्तर के कार्यकाल में मोबाइल मेडिकल यूनिट योजना बंद कर दी गई। इस योजना को बंद करने का कारण पता नहीं।

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