महिला ने अपने बच्चे को नहीं रखने का लिया निर्णय
शुक्रवार को जिला स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग और पुलिस के समक्ष महिला ने अपने बच्चे को नहीं रखने का निर्णय लिया। बच्चे को लेकर सेवा भारती मातृ छाया दुर्ग गई तो महिला की आंखें भर आई और अपनी बेबसी अधिकारियों को बताई।
एक दिन पहले हुई अस्पताल में भर्ती
जानकारी के मुताबिक महिला बीते दो माह से अस्पताल आ रही है। प्रसव पीड़ा बढऩे के बाद गुरुवार शाम 6 बजे जिला अस्पताल में भर्ती हुई। कुछ देर बाद उसने बच्चे को जन्म दिया। इस दौरान महिला के परिजन भी मौजूद थे।
पांच साल पहले हुई थी शादी, चार साल की है पहली संतान
महिला ने बताया कि 5 साल पहले उनकी शादी हुई थी। 4 साल की एक बच्ची भी है। बीते कुछ माह से पति उसे छोड़ कर कहीं चला गया। गर्भवती होने के बाद पति को कई बार समझाया पर वे नहीं माना और न लौट कर आया। खुद की एक और बच्ची होने के कारण उनका भी लालन-पोषण कर रही है। अब वह अकेली नवजात का पालन-पोषण नहीं कर सकती। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि अपने कलेजे के टुकड़े को सरकार को दे दिया जाए।
नवजात को बाल कल्याण समिति को सौंपा
इस घटना की पूरी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी। अस्पताल प्रबंधन ने महिला बाल विकास विभाग को इसकी जानकारी दी। फिर कानूनी प्रक्रिया के साथ परिजनों की उपस्थिति में नवजात को बाल कल्याण समिति को सौंपा। इसके बाद उसे नियमानुसार सेवा भारती मातृ छाया को सौंप दिया।
विभाग करेगा नवजात की परवरिश
बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजानंद साहू ने बताया कि बच्चे को जन्म देने के बाद कहीं फेंके नहीं। अगर बच्चे की परिवरिश नहीं कर सकते तो हमारे विभाग को दें। विभाग बच्चे की सही देखभाल करेंगा। किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत उसे दत्ता ग्रहण समिति को देकर उसे इच्छुक व्यक्ति को नियमानुसार गोद दिया जाता है।
अब तक 4 बच्चों को दिलाया गोद
विभागीय जानकारी के मुताबिक अभी तक इस प्रक्रिया के तहत जिले के 4 बच्चों को गोद लेने वाले दंपती को दिया गया है। नियम के अनुसार अगर बच्चा नवजात है तो 60 दिन बाद मां को फिर से वापस मिल सकता है। 60 दिन से ज्यादा हुआ तो बच्चे को जिसने गोद लिया उसी का हो जाएगा।