वर्ष 2017 में वाहनों की बिक्री की संख्या 12 हजार 682 तक पहुंच गई, लेकिन लाइसेंस बनाने वालों की संख्या घटकर 5305 हो गई। हालांकि वर्ष 2015-2016 में लाइसेंस बनाने के प्रति लोगों ने जागरूकता दिखाई। इसी तरह वर्ष 2015 में 6146 तो 2016 में 6202 लोगों ने लाइसेंस बनाए।
गाडिय़ों की संख्या बढऩे के साथ लाइसेंस की संख्या में उसी अनुपात में वृद्धि नहीं होने के पीछे भी तर्क है। जानकारों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिंक समृद्धि और किश्तों में गाडिय़ों की बिक्री होने से शहरों के बराबर ही कस्बों में गाडिय़ों की बिक्री हो रही है। गाड़ी तो आसानी से ग्रामीण इलाकों में मिल जा रही है, लेकिन लाइसेंस के लिए उन्हें जिला मुख्यालय आना पड़ता है। यही वजह है कि ग्रामीण लाइसेंस बनाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
यातायात विभाग समय-समय पर वाहनों की चेकिंग की जाती है। इसमें एक बाइक पर तीन सवारी बैठाने के अलावा हेलमेट, लाइसेंस भी जांच की जाती हैं। बाइक चालक द्वारा जुर्माना तो भर दिया जाता है, लेकिन लाइसेंस बनवाने के लिए चालकों को प्रेरित करने के लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जिस तरह से पुलिस ने हेलमेट को लेकर जागरुकता अभियान चला रही है, उसी तरह लाइसेंस बनाने के लिए भी अभियान छेड़े जाने की जरूरत है।
आरटीओ के मुताबिक जून 2019 तक इस साल जिले में कुल 9 हजार 269 नई गाडिय़ों का पंजीयन हुआ है। इसके विपरीत सिर्फ 3 हजार 214 लोगों ने ही लाइसेंस बनाए है।
वर्ष लाइसेंस वाहन
2013 1671 749
2014 5565 10401
2015 6146 10002
2016 6202 10237
2017 5305 12682
2018 5330 10031
2019 जून तक 3214 9269 चलाया जाएगा अभियान
यातायात प्रभारी सत्यकला रामटेके ने बताया वाहन शो रूम संचालकों को निर्देशित किया गया जाएगा कि वाहन देते समय संबंधित व्यक्ति से लाइसेंस की जानकारी लें। अगर उसके पास लाइसेंस नहीं है तो बनाने प्रेरित करें। पुलिस व यातायात विभाग की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।