प्रदेश सचिव जितेंद्र पांडेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। एक तरफ कोरोना महामारी से किसान मानसिक व आर्थिक रूप से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में खाद के दामों में 400 से 700 रुपए तक की वृद्धि होने से किसान हैरान हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों से लोकलुभावन वादे कर सत्ता में आई। अब छल कर रही है। देश मे पहली बार रासायनिक खादों के मूल्यों में 40 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने के करण किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार ने डीएपी खाद में लगभग 58 प्रतिशत वृद्धि कर दी। अब डीएपी खाद 1200 की जगह 1900 रुपए, एनपीके खाद 1185 की जगह 1747 रुपए में मिल रही है। इसका सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर होगा। केंद्र सरकार किसानों के हित को भूल कर छलावा कर रही है। इसलिए एनएसयूआई ने भाजपा सांसदों को पत्र भेज कर बढ़े दाम वापस लेने की मांग की है। इस दौरान जिला संयोजक तिलक देशमुख भी मौजूद रहे।
गुंडरदेही ब्लाक कांग्रेस कमेटी एवं किसान कांग्रेस ने रासायनिक खादों के दाम में बेतहाशा मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ अपने घर में रहकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रमुख रूप से जिला पंचायत बालोद की अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष भोजराज साहू, किसान कांग्रेस अध्यक्ष रामस्वरूप साहू, संजय साहू, जिला उपाध्यक्ष डॉ नारायण साहू आदि शामिल रहे।
केंद्र सरकार की ओर से रासायनिक खाद के दाम में वृद्धि के विरोध में किसान नेता गोविंद चंद्राकर ने वर्चुअल धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार किसान विरोधी है। संकट काल में भी आपदा को अवसर में बदलना भाजपा सरकार को अच्छी तरह से आता है। किसानी का दिन शुरू होने वाला है। ऐसे में खाद के दामों में वृद्धि करना किसानों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि हमेशा से ही भाजपा सरकार किसानों के साथ अन्याय करती आ रही है। किसानों की आय दोगुनी करने का झूठा आश्वासन देने वालों ने खाद के दाम बढ़ाकर साबित कर दिया कि उन्हें किसानों से कोई सरोकार नहीं है। केंद्र की भाजपा सरकार को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार से सीख लेनी चाहिए। जो कोरोना काल में भी राजीव गांधी किसान न्याय योजना की पहली किस्त 21 मई को देने जा रही है, वहीं किसानों का जलकर भी माफ कर दिया है।