लोकसभा चुनाव में एक लाख मतदाताओं ने कांग्रेस को खारिज कर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया है। जिससे लोकसभा प्रत्याशी की जीत हुई है। कांग्रेस ने जिले में एक लाख की लीड को बचा नहीं पाई। जिले में एक मंत्री अनिला भेडिय़ा और दो पार्टी विधायक कुंवर निषाद, संगीता सिन्हा के बाद भी पराजय का सामना करना पड़ा।
पीएम मोदी के राष्ट्रवाद नारे के सामने कांग्रेस की ओर किसानों को 72 हजार रुपए देने की घोषणा भी काम नहीं आया। लोगों ने पीएम के चेहरे को देखकर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया।
बालोद जिला मुख्यालय यानी बालोद नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत कुल 19 बूथों में लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 4 हजार से अधिक वोट से भाजपा आगे रही। अभी तक इतनी बड़ी लीड किसी भी चुनाव में नहीं रही। शहर के कई बूथ ऐसे है जहां से कांग्रेस कभी हारी नहीं वहां से भी पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस में हार के बाद पार्टी दफ्तर में सन्नाटा पसरा हुआ है वहीं कार्यकर्ताओं में भी मायूसी छाई हुई है।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जिन बूथों में ज्यादा नुकसान हुआ था उस नुकसान की भरपाई में कामयाब रही। यही कारण है कि ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा के मोहन मंडावी कांकेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हो गए।
कांग्रेस के पराजय का एक कारण अति आत्मविश्वास भी है। पदाधिकारी सहित कार्यकर्ताओं में विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में रिकार्ड जीत के बाद पार्टी के पक्ष में माहौल होने का भरोसा था। इसी के चलते पार्टी रणनीति बनाकर प्रचार प्रसार नहीं कर पाई। कार्यकर्ता भी विधानसभा की जीत से उत्साहित होकर घर बैठ गए थे। सिर्फ खानापूर्ति वाली अंदाज में ही प्रचार कर रहे थे। विस चुनाव की तरह लोकसभा भी जीत लेंगे की मानसिकता में अधिकतर कार्यकर्ता थे। यही कारण रहा कि जैसा प्रचार-प्रसार करना था वैसा नहीं कर पाए।
पराजय के बाद कांग्रेस की बैठक जल्द होने वाली है। बैठक में हार की बूथवार समीक्षा की जाएगी। पार्टी ने कार्यकर्ताओं से बूथवार जानकारी मंगाई है। बैठक में जिले के सभी 810 मतदान केंद्रों में पड़े मतों की जानकारी के साथ हार के कारण व कार्यकर्ताओं से जानकारी लेकर समीक्षा की जाएगी।
लोकसभा चुनाव 2014 में भी कांकेर लोकसभा की आठ विधानसभा क्षेत्रों में छह विधायक कांग्रेस के थे और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव 2014 में सिहावा और अंतागढ़ में भाजपा के विधायक थे। लोकसभा चुनाव में उस बार विक्रम उसेंडी भाजपा के उम्मीदवार थे और वे ही अंतागढ़ से विधायक थे। उन्हें इस चुनाव में बड़ी सफलता हासिल हुई थी।
विधानसभा चुनाव में कांकेर लोकसभा अंतर्गत सभी आठ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जितने मत हासिल हुए थे मोहन मंडावी ने सभी से अधिक मत हासिल किया। विधानसभा के प्रदर्शन के सापेक्ष भाजपा का प्रदर्शन सभी सीटों पर बेहतर रहा है। भाजपा को सर्वाधिक अधिक सफलता डौंडीलोहरा (33440 मत) में मिली तो केशकाल में सबसे कम। पर अधिक मत सभी जगह हासिल हुए।
कांकेर लोकसभा क्षेत्र में डौंडीलोहरा व सिहावा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व आधी आबादी के जिम्मे है। डौंडीलोहरा से विधायक अनिला भेडिय़ा राज्य सरकार में मंत्री हैं तो सिहावा की विधायक डा.लक्ष्मी ध्रुव को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। यहां कांग्रेस को बढ़त भी मिली है। डौंडीलौहरा में कांग्रेस के उम्मीदवार बीरेश ठाकुर ने निर्वाचित मोहन मंडावी से अधिक मत हासिल किया है। वहीं विधानसभा चुनाव में अनिला को मिले कुल मतों से 11622 मत अधिक भी प्राप्त किए हैं। यही क्षेत्र ऐसा है जहां कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक है। बात सिहावा विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां बीरेश को मोहन से 7131 मत अधिक प्राप्त हुए हैं परंतु विधानसभा चुनाव में डॉ लक्ष्मी ध्रुव को मिले मतों के आंकड़े को बीरेश नहीं छू पाए और 17259 मत पीछे रह गए।