बालोदPublished: Aug 02, 2023 10:53:27 pm
Chandra Kishor Deshmukh
एक ओर सरकार जैविक कृषि को बढ़ावा देने कई योजनाएं लागू की है। जिले के कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो जिले में पूर्ण रूप से जैविक कृषि कर काले, लाल व हरे रंग के चावल का उत्पादन कर रहे थे, लेकिन शासन व प्रशासन ने इस जैविक चावल व धान को समर्थन मूल्य या फिर उचित मूल्य पर खरीदने कोई योजना नहीं बनाई है। नतीजा किसान मयूस हैं।
बालोद. एक ओर सरकार जैविक कृषि को बढ़ावा देने कई योजनाएं लागू की है। जिले के कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो जिले में पूर्ण रूप से जैविक कृषि कर काले, लाल व हरे रंग के चावल का उत्पादन कर रहे थे, लेकिन शासन व प्रशासन ने इस जैविक चावल व धान को समर्थन मूल्य या फिर उचित मूल्य पर खरीदने कोई योजना नहीं बनाई है। नतीजा किसान मयूस हैं। गुरुर ब्लॉक के ग्राम सनौद निवासी ध्रुव राम साहू तीन एकड़ में जैविक कृषि करते हैं। इनके उत्पादित लाल एवं काले रंग के चावल की मांग ऑस्ट्रेलिया तक थी। अब वहां उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश से चावल की सप्लाई की जा रही है। इस वजह से उनके उत्पादित चावल की सप्लाई नहीं हो रही है। अब काले, लाल व हरे रंग के चावल की खेती बंद कर दी है। तीन एकड़ में एचएमटी धान की जैविक खेती कर रहे हैं।