दो साल में सूरत ज्यादा बिगड़ी
तांदुला नदी की सूरत दो साल में ज्यादा बिगड़ी है। तांदुला नदी को बालोद की जीवनदायिनी कहा जाता है क्योंकि यह नदी कई वर्षों से बालोद की जनता की प्यास बुझा रही है। इसी तांदुला से पूरे शहर के 5 हजार घरों के 33 हजार लोगों की प्यास बुझ रही है। यही नदी अब मरने की स्थिति में है।
नदी नहीं, बल्कि बन गया है मैदान
तांदुला नदी का लगभग एक किमी का एरिया घास व जलकुम्भी से पट गया है। इसकी सफाई कई सामाजिक संगठनों ने भी कराने का प्रयास किया। लेकिन व्यर्थ के कायों में करोड़ो रुपए फूंकने वाले शासन-प्रशासन ने मरती नदी को बचाने कोई भी योजना नहीं बनाई। जिले के कलेक्टर भी इस नदी पर बने पुल को पार कर कलेक्टोरेट जाते हैं। नदी की स्थिति से भी वाकिफ हैं, लेकिन सफाई के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते तांदुला नदी धीरे-धीरे पट रही है। यह घास मैदान जैसा लगती है।
जिम्मेदारी से बच रहे जिम्मेदार
तांदुला नदी की दयनीय स्थिति को देखकर नगर पालिका व जलसंसाधन विभाग मजा ले रहे हैं। सफाई का नाम जब भी लिया जाता है तो नगर पालिका जलसंसाधन विभाग की जिम्मेदारी बताते हैं। जल संसाधन विभाग नगर पालिका की जिम्मेदारी बताता है। जबकि तांदुला व नदी के पानी से सरकार को भी लाभ मिल रहा है और नगर पालिका को भी। नगर पालिका के बजट में तांदुला नदी की सफाई का जिक्र किया गया, लेकिन नदी की सफाई नहीं हुई।
जिला प्रशासन तक नहीं बना पाया योजना
तीन साल पहले से ही नदी का अस्तित्व खोने की शुरुआत होने लगी। जिला प्रशासन ने इसे संवारने ध्यान नहीं दिया। विभागीय ढिलाई के कारण यह नदी दो साल में ही घास मैदान बन गई। अभी भी इस नदी को बचाने व संवारने जिला प्रशासन ने कोई योजना नहीं बना रही है।
नदी बचाने बजट नही
जिले में अधिकारी व जिम्मेदार विभाग और प्रशासन नदी-नाले से ऐसे मुह मोडऩे लगे हैं, जैसे उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। मंत्री या फिर मुख्यमंत्री हो, उनकी आधे घंटे के सभा के लिए लाखों खर्च करते हैं। नदी-नाले को बचाने के लिए प्रचार-प्रसार कर नारे भी लगवाते हैं। लेकिन दुख इसका है कि प्रशासन व जिम्मेदार विभाग के पास जीवन दायिनी तांदुला नदी को बचाने फंड नहीं है।
तांदुला नदी की सफाई की जवाबदारी नगर पालिका की
जल संसाधन विभाग के ईई सतीश कुमार टीकम का कहना है कि तांदुला नदी की सफाई की जवाबदारी नगर पालिका की है। नदी की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। नगर पालिका की मांग पर तांदुला जलाशय से पानी छोड़ते है।
तांदुला नदी जल संसाधन विभाग के अंतर्गत आता है
वहीं नगर पालिका सीएमओ रोहित साहू ने कहा कि तांदुला नदी जल संसाधन विभाग के अंतर्गत आता है। नगर पालिका समय-समय पर नदी की सफाई करने पहल करती है। लेकिन नदी कि सफाई पर जल संसाधन विभाग को कार्ययोजना बनानी चाहिए।