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जुनून ऐसा कि खुद की राशि से स्कूल को बना दिया प्रदेश में आदर्श

locationबालोदPublished: Sep 05, 2018 12:42:03 am

Submitted by:

Niraj Upadhyay

बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक के ग्राम पेंडरवानी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षकों ने नवाचार किया है, जहां कैमरे से बच्चों की निगरानी की जाती है। डिजिटल पढ़ाई से बच्चों को बस्ता मुक्त कर दिया गया है।

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जुनून ऐसा कि खुद की राशि से स्कूल को बना दिया प्रदेश में आदर्श

सतीश रजक
बालोद. इंजीनियर व देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन विश्वेश्वरैया महान शिक्षाविद् थे। उनकी जयंती को पूरा देश शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दौरान उनसे सीख लेने वाले जिले से ऐसे शिक्षकों का अभिनंदन कर प्रोत्साहित किया जाता है जो बच्चों के भविष्य के प्रति नवाचार करते हैं। समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। बुधवार को शिक्षकों के विशेष दिन पर हम ऐसे ही एक स्कूल का उदाहण पेश कर रहे हैं जो पूरे जिले में शिक्षकों की वजह से आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।
विभागीय सहयोग की बजाय खुद से पहल
जिले के गुरुर ब्लॉक का ग्राम पेंडरवानी में संचालित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ऐसा ही एक स्कूल है जहां के शिक्षकों में नवाचार का ऐसा जूनून है कि वे विभागीय सहयोग की बजाय खुद से पहल करते हैं। इसी वजह से आज यह स्कूल दूसरी संस्थाओं को सीख दे रहा है। यहां के शिक्षक अपने खर्च से स्कूल को संवारा है। शिक्षकों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। बेहतर कार्य के लिए जिला सहित प्रदेश में चर्चा है।
संगीत की शिक्षा के साथ प्रोजेक्टर से पढ़ाई
ग्रामीण संत राम ने बताया स्कूल को उत्कृष्ट बनाने में ग्रामीणों के साथ यहां के चारों शिक्षकों का बड़ा हाथ है। शिक्षक मनोहर सिंह दीवान प्रधान पाठक, मारुती शर्मा, चूरूणिका सोनबेर, सुधा ठाकुर आदि ने ग्रामीणों के साथ मिलकर स्कूल के लिए बेहत काम किया। अपने अंशदान से स्कूल की चारदीवारी को आकर्षक रंगरोगन, स्कूल में बच्चों की निगरानी के लिए सीसी टीवी कैमरे लगाए। संगीत की शिक्षा के साथ प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई पर ध्यान दिया गया। यहां तक बच्चों को बोझ से मुक्त करने बिना बस्ते के स्कूल आने की व्यवस्था की। कहा जाए सहां पूरी पढ़ाई डिजिटल तरीके से करई जाती है।
जिले का पहला स्मार्ट स्कूल है पेंडरवानी की पूमा शाला
पेंडरवानी में संचालित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला जिले का पहला स्मार्ट स्कूल है। इस स्कूल को यहां के चार शिक्षकों व ग्रामीणों ने मिलकर हाइटेक बना दिया है। विद्यालय को बस्तामुक्त कर दिया गया है। डिजिटल से पढ़ाई और उन्नत पुस्तकालय से बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाते हैं। संगीत की शिक्षा के साथ कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है। यह जिले का पहला स्कूल है जहां संगीत की भी जानकारी दी जाती है। यहां बेहतर परिणाम भी आ रहा है।
स्कूल का है प्रदेश में दूसरा स्थान, शास्त्रीय संगीत भी सीख रहे बच्चे
एक नई बात ये है कि पेंडरवानी स्कूल के बच्चों ने पहली बार संगीत के राष्ट्रीय प्रावीण्य सह परीक्षा में भाग लिया, जिसमें 16 बच्चों में से 10 बच्चे सफल भी हुए हैं। बताया जाता है कि इस परीक्षा की पुस्तक महंगी आती है तो यहां के शिक्षक मारुती शर्मा ने अपने खर्च से सभी बच्चों के लिए पुस्तक की व्यवस्था की, जिससे ग्रुप बनाकर बच्चों की पढ़ाई कराई गई। नतीजा यह रहा कि बच्चे पहली बार में ही सफलता हासिल की। वे
स्कूल को देखने रायपुर से पहुंची थी टीम
शिक्षक मारुती शर्मा ने बताया यहां के प्रार्थना हाल में प्रार्थना के बाद बच्चे ताजा समाचार वचन, प्रश्न मंच, पर्यटन स्थलों की जानकारी देते हैं। शिक्षा के संस्कार की भी शिक्षासे छत्तीसगढ़ और भारतीय संस्कृति की जानकारी बच्चों को मिलने लगी है। वहीं कई कार्यक्रमों से उनके अंदर की कला को स्थान दिया जाता है। शिक्षकों का कहना है आने वाले समय में वाटर प्यूरीफायर व स्कूल में झूला लगाने का विचार है।
बच्चों के लिए ये सुविधाएं हैं स्कूल में
प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट क्लास संचालित, संपूर्ण परिसर व कक्षाएं सीसीटीवी कैमरा से युक्त, सुसज्जित पुस्तकालय, विज्ञान क्लब व गणित क्लब, संगीत कक्षा की व्यवस्था, कक्षाओं में साउंड बॉक्स से निर्देश व समाचार प्रसारण, ज्ञान व मनोरंजन के लिए डीटीएच सिस्टम व टीवी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
स्कूल को हाइटेक बनाने इनका रहा योगदान
स्कूल के शिक्षक मनोहर सिंह दीवान प्रधान पाठक, मारुती शर्मा, चारुणिका सोनबेर, सुधा ठाकुर ने स्कूल को हाइटेक बनाने योगदान दे रहे हैं। ग्रामीणों में युवाओं की सक्रिय टीम जो निरंतर विद्यालय के विकास की योजना बनाकर सफल करते हैं इनमें नंदकुमार देवांगन, किशनलाल देवांगन, गिरधारी लाल देवांगन, कामदेव साहू, गजेंद्र साहू, ईश्वर साहू, दयानंद साहू, गोवर्धन मेश्राम, सरपंच, प्रभा साहू, ममता देवांगन, ओंकार साहू शामिल हैं।
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