घटना करीब तीन साल पुरानी है। कक्षा बारहवीं में पढऩे वाली यामिनी का चचेरा भाई लोमेश करंट की चपेट में आ गया था। उस वक्त वह महज सात साल का था। स्कूल से घर आते ही वह टीवी चालू करने पहुंचा, लेकिन जैसे ही उसने बिजली के स्विच को छुआ, वह करंट लगने से कांपने लगा। उसी वक्त यामिनी घर में दाखिल हुई उसने भाई को तड़पता देखा तो फुर्ती से उसे बचाने के लिए दौड़ी, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में भी उसने सूझबूझ दिखाई। फौरन ही घर में रखा बांस लेकर आई और उसके सहारे भाई को करंट से अलग किया।
यामिनी ने भाई को करंट से तो बचा लिया, लेकिन उसकी हालत ठीक नहीं थी। घर पर कोई नहीं था, सभी खेत पर काम करने गए थे। तब यामिनी ने हिम्मत दिखाई और पड़ौसियों के पास जाकर सारी बात बताई। पड़ौसियों से उसने भाई को बचाने में मदद मांगी। पड़ौसियों के सहयोग से भाई को तत्काल धमतरी के अस्पताल लेकर पहुंची।
यामिनी के साहस और सूझबूझ से भाई की जिंदगी बच गई। उसकी समझदारी पर परिवार को नाज है, साथ ही वह अब प्रदेश का गौरव बन गई है। उसे जिला मुख्यालय पर सम्मान के साथ लाया गया, जहां कलेक्टोरेट में उसे उसकी बहादुरी के लिए वर्ष 2017 का जीवनरक्षा पदक सौंपा गया।