2017 से लगातार गिर रहा जल स्तर
पीएचई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भूजल स्तर 2017 से घटते क्रम में है। स्थिति को सुधारने कई प्रयास हुए, लेकिन सफलता नहीं मिली। बीते साल मिशन जल शक्ति को लेकर गुरुर ब्लॉक में जलशक्ति नाम से विशेष अभियान चलाया गया। घर-घर व सरकारी दफ्तरों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया। अब लोग फिर लापरवाही बरतने लगे हैं।
किस साल कितना रहा भूजल स्तर
वर्ष - भूजल मीटर में
2017-19
2018-19.50
2019-19.50
2020-21
2021-21
2022-21.50
(नोट : आंकड़े पीएचई सर्वे के अनुसार)
भूजल स्तर गिरने के ये भी कारण
जिले के हर गांव की गली में डामरीकरण होने के कारण बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा रहा है। पानी सीधे नालों में चला जाता है। गर्मी में धान की फसल लेने से भी भू-जल स्तर में कमी आ रही है। धान की फसल में पानी का अधिक उपयोग होता है। घरों व सरकारी कार्यालय में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का न होना। इसके अलावा जरूरत के अनुसार नदी-नालों में एनीकट निर्माण न होना।
अधिक ट्यूबवेल खनन से गिर रहा जल स्तर
भू-जल स्तर के लगातार गिरने के कारण किसान नए बोरवेल कराने में जुट गए हैं। बारिश में धान की फसल की कटाई के बाद गर्मी में किसान खेतों व घरों में बोर खनन में जुट जाते हैं। फलस्वरूप पानी के दोहन की संभावना भी बढ़ गई है। जिन इलाकों में बोरवेल की संख्या अधिक है, वहां 400 से 550 फीट की गहराई में भी पानी नहीं मिल रहा है।
गुरुर ब्लॉक बना था रेड जोन, जल शक्ति से थोड़ी स्थिति सुधरी
दो साल पहले भूजल सर्वेक्षण में गुरुर ब्लॉक को रेड जोन में रखा गया था। केंद्र व राज्य सरकार सहित जिला प्रशासन ने मिलकर इस ब्लॉक में जल शक्ति अभियान चलाकर, स्कूल-कॉलेज, सरकारी भवन, निजी भवनों में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, चेक डेम निर्माण सहित विभिन्न कार्य किए। इससे थोड़ी स्थिति सुधरी। आज भी ब्लॉक में कई गांव में पानी की स्थिति गंभीर है।
पीपरछेड़ी व बासिंग से लें सबक, गर्मी में धान की फसल पर रोक
घटते भूजल व भविष्य में जल संकट न हो, इसलिए गुरुर ब्लॉक के ग्राम बासिंग व बालोद ब्लॉक के पीपरछेड़ी के ग्रामीणों व किसानों ने अच्छी पहल की है। ग्रामीणों ने बैठक लेकर निर्णय लिया कि गांव में कोई भी किसान गर्मी में धान की फसल नहीं लेगा। ऐसा करने से इस गांव में भू-जल स्तर सुधरा। ऐसी पहल हर गांव में होनी चाहिए।
लोगों को जागरूक किया जा रहा है
जिले में गिरते भू-जल स्तर को बढ़ाने लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सभी सरकारी विभागों में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। जल बचाने सभी को जागरूक होना पड़ेगा।
- आरके धनंजय, ईई, पीएचई बालोद