हालांकि जांच टीम ने बीजों का सैम्पल लिया है। जल्द ही इसकी जांच कर आगे की कार्रवाई करने की बात कही है। पीडि़त किसान सुभाष साहू ने बताया कि 5 एकड़ में सिर्फ 10 फीसदी ही सही बीज निकला। बाकी तो बीज के नाम पर बदरा व अन्य बीज निकला। 5 एकड़ के खेती में उसे लगभग 7 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि कलेक्टर को भी क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है।
इस बार किसानों को नुकसान ही उठाना पड़ा है। जिले के गुरुर ब्लॉक व बालोद ब्लॉक के ग्राम पोंडी-पड़कीभाट मार्ग में तो एक खेत में तीन एकड़ की फसल बारिश व तेज हवा के कारण तीन सप्ताह से खड़ी फसल खेत में ही गिर गई है। खेत मे गिरी फसल पक गई है। कटाई करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए पकी फसल अंकुरित होकर उसमें नए धान के पौधे उग आए है। किसान फसल की हालत दिखाने कृषि विभाग व पटवारियों को फसल आंकलन के लिए कटाई नहीं कर रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक केआर साहू ने बताया कि अभी हम जांच कर रहे हैं। एक खेत की फसल को नुकसान हुआ है। एक खेत की फसल अच्छी है। उन्होंने कहा कि बीज के पैकेट का भी अवलोकन किया जाएगा। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
बीज निगम ने जांच के दौरान कहा कि बीमारियों का प्रकोप ज्यादा है। इसलिए हम इस सिरे से जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि जिले में बीज के संदर्भ में एकमात्र यही शिकायत आई है। कहीं से और कोई शिकायत नहीं आई है। जबकि लाटाबोड़ में दो से तीन किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस संबंध में शिकायत की है। फसल की स्थिति देख अधिकारी भी अचरज में पड़ गए।
किसान सुभाष ने कहा कि इसकी शिकायत सिर्फ मेरा ही नहीं है बल्कि अन्य किसानों की भी है। हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। हमें फसल क्षतिपूर्ति के तहत मुआवजा चाहिए। बीज निगम के खराब बीज के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई प्रशासन, बीज निगम फसल नुकसान के तहत मुआवजा देकर करें।
इस बार किसान हर तरह से परेशान हो गए हैं। पहले अल्प बारिश से परेशानी, फिर खराब बीज और फिर फसल पकने की स्थिति आई तो कीट व बे-मौसम बारिश ने फसल को बर्बाद करके रख दिया। अब नए कीट का जन्म हो गया है। जो माहो, तनाछेदक से भी ज्यादा खरतनाक है। इसे कृषि वैज्ञानिकों ने माइट बताया है। जिले के अधिकतर किसानों से इस कीट के बारे में शिकायत मिल रही है। यह कीट मकड़ी के समान रहता है, जो धान की फसल के तने में बैठ जाता है और जब धान की फसल में बीज आने लगता है तो यह कीड़ा बीज के दूध को चूस लेता है, जिससे बीज नहीं बन पाता। किसान इसके लिए वैज्ञानिकों से संपर्क कर बचाव के उपाय की जानकारी भी ले सकते हंै।