scriptखारून के उद्गम स्थल पर देश का पहला देव दशहरा आज, मां कंकालिन की छत्रछाया में होती है ग्राम देवी-देवताओं की पूजा | The country's first god Dussehra is celebrated in Petechua of Balod | Patrika News

खारून के उद्गम स्थल पर देश का पहला देव दशहरा आज, मां कंकालिन की छत्रछाया में होती है ग्राम देवी-देवताओं की पूजा

locationबालोदPublished: Oct 12, 2021 01:01:30 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

ग्राम पेटेचुआ स्थित मां कंकालीन मंदिर में मंगलवार को देव दशहरा उत्सव मनाया जाएगा। मंदिर की परंपरा रही है कि क्वांर नवरात्रि प्रारंभ होने के बाद प्रथम मंगलवार को दशहरा उत्सव मनाया जाता है।

खारून के उद्गम स्थल पर देश का पहला देव दशहरा आज, मां कंकालिन की छत्रछाया में होती है ग्राम देवी-देवताओं की पूजा

खारून के उद्गम स्थल पर देश का पहला देव दशहरा आज, मां कंकालिन की छत्रछाया में होती है ग्राम देवी-देवताओं की पूजा

बालोद. ग्राम पेटेचुआ स्थित मां कंकालीन मंदिर में मंगलवार को देव दशहरा (Dev Dashara) उत्सव मनाया जाएगा। मंदिर की परंपरा रही है कि क्वांर नवरात्रि प्रारंभ होने के बाद प्रथम मंगलवार को दशहरा उत्सव मनाया जाता है। इस दशहरा को प्रदेश का पहला दशहरा उत्सव भी कहा जाता है। दशहरा उत्सव में विभिन्न ग्रामों एवं बस्तर के देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।
मां कंकालिन के नाम पर पड़ा गांव का नाम
ब्लॉक मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ग्राम पेटेचुआ के पास स्थित मां कंकालीन मैया मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। मां कंकालिन के नाम से ही इस गांव का नाम कंकालिन पड़ गया। मां कंकालीन मंदिर खारुन नदी का उद्गम स्थल है, जो चारों ओर जंगलों से घिरा हुआ है, जो मन को मोहित करता है। जानकारों ने बताया कि मां कंकालीन धरती चीरकर प्रकट हुई हंै और सिद्धपीठ है। पहले यह मंदिर खुले आसमान के नीचे स्थित था, बाद में मंदिर बनाया गया।
खारून के उद्गम स्थल पर देश का पहला देव दशहरा आज, मां कंकालिन की छत्रछाया में होती है ग्राम देवी-देवताओं की पूजा
देश का पहला दशहरा
मंदिर में पितृमोक्ष के बाद प्रथम मंगलवार को देव दशहरा उत्सव मनाया जाता है, जो देश का पहला दशहरा है। इसमें हजारों की संख्या में अपनी मन्नतें लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां कंकालीन से अपनी मुरादें मांगते हैं। मंदिर प्रांगण में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लग जाती है। देव दशहरा में आसपास के ग्रामीण बाजे-गाजे, डांग-डोरी लेकर पहुंचते हंै। कहते हैं, जो भी सच्चे दिल से मां कंकालीन से मनोकामना करता है मां उसकी मनोकामना जरूर पूरा करती है।
देश की पहली होली भी यहीं मनाई जाती है
कंकालीन मंदिर में देश का प्रथम देव दशहरा मनाने के साथ ही सबसे पहले होलिका दहन भी होता है, जो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को माता जी का फाग होता है।
माता के नाम पर अपने गांव का नाम
गांव के नाम को लेकर जानकारों ने बताया कि पहले गांव का नाम ग्राम पेटेचुआ था। मां कंकालीन की स्थापना के बाद से ग्राम का नाम बदलकर कंकालीन पेटेचुआ किया गया, तब से लेकर अब ग्राम को कंकालीन पेटेचुआ के नाम से जाना जाता है।
पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
समिति एवं ग्रामीणों ने शासन से ग्राम कंकालीन पेटेचुआ में स्थित मां कंकालीन मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है, क्योंकि यह मंदिर 700-800 साल से आस्था का केन्द्र है। यहां दूर-दूर से मंदिर दर्शन करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है और अपनी मुरादें पुरी करते हैं। पंचमी पर्व पर मां कंकालीन की पूजा पाठ कर विशेष शृंगार किया जाता है। मंदिर प्रांगण में प्रतिदिन माता सेवा पार्टियां भजन गाते हैं।
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