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जिद्द और जुनून से बदली किस्मत, खेत में हल चलाकर गर्व से कहती है, हां मैं किसान की बेटी हूं, उन्नत कृषकों में नाम

locationबालोदPublished: Aug 25, 2018 10:20:54 pm

एक बेटी ग्रामीणों के साथ अन्य बेटियों के लिए आदर्श बन चुकी है। आर्थिक के साथ संसाधनों के आभाव के बाद भी अपना इरादा बुलंद रखा है। कहा जाए लक्ष्य के लिए बेटी के अनुकूल परिस्थितियां नहीं हैं, पर भी इरादा हार मानने वालों में से नहीं है।

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परिस्थिति अनुकूल नहीं फिर भी किसान की बेटी हूं, हार नहीं मानूंगी, लड़की हूं तो क्या हुआ, पढ़ाई के साथ खेती में भी आजमाऊंगी किस्मत

विजय शर्मा/नीरज उपाध्याय
बालोद/दल्लीराजहरा. एक बेटी ग्रामीणों के साथ अन्य बेटियों के लिए आदर्श बन चुकी है। आर्थिक के साथ संसाधनों के आभाव के बाद भी अपना इरादा बुलंद रखा है। कहा जाए लक्ष्य के लिए बेटी के अनुकूल परिस्थितियां नहीं हैं, पर भी इरादा हार मानने वालों में से नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए कई बाधाएं हैं, फिर भी कहती है पिता के साथ खेती करूंगी और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग लेती रहूंगी।

बेरोजगार युवाओं को सीख दे रही
ये कहानी नहीं आदिवासी ब्लॉक डौंडी विकासखंड के ग्राम पंचायत धोतिमटोला की हकीकत है। यहां के किसान हिरामन लाल की 22 वर्षीय कर्मठ बेटी हेमलता ने आज के बेरोजगार युवाओं को सीख दे रही है। वे अपने काम और इरादे से क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जो बारहवीं के बाद उच्च शिक्षा का इरादा तो रखती है, पर गांव से कॉलेज की दूरी और आने-जाने में आ रही परेशानी को दरकिनार करते हुए पहले अपने घर की खेती पर ध्यान केंद्रित कर ली है।

पत्रिका टीम पहुंची तो हल थामें दिखी बिटिया हेमलता
जब पत्रिका की टीम उनके गांव धोमितटोला पहुंची, तो बेटी हेमलता अपने पिता के साथ खेत में हल चला रही थी। हमारे सवाल पर उन्होंने मुस्कराते हुए कहा पिता के मार्गदर्शन में काफी कम उम्र से ही मैंने हल चलाना सीख लिया था। अब पिता का पूरा साथ देती हूं। फसल लगाने के बाद खेतों की बियासी, खरपतवार हटाने में पिता का हाथ बंटाती हूं। खेत में कितना पानी और फसल के लिए और कितना चाहिए ये पिता से ही जाना है।

ठान लिया तो कोई भी काम असंभव नहीं
हेमलता ने कहा बेटियां चाहे तो कोई भी काम कर सकती हैं। ठान ले, तो उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं है। बस चाहिए तो दृढ़ इच्छाशक्ति और मन से कर्मठ होने की। कोई भी काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। मामले में ग्रामीणों ने कहा गांव की बेटी संदेश दे रही है कि बेटियां कमजोर नहीं होती, किसी भी मामले में वे कम नहीं हैं, मन मेें तय कर ले तो कठिन से कठन काम इसी तरह पूरे कर लक्ष्य पा सकती हैं।

बारहवीं का लक्ष्य पाने 8 किलोमीटर दूर स्कूल जाने की रही मजबूरी
हेमलता ने चर्चा मेंं बताया उसने कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल मेें पूरी की। आगे तीन किलोमीटर दूर ग्राम साल्हे स्थित हाई स्कूल मेें 9वीं व 10वीं की परीक्षा पास की। उसके बाद दो साल पहले कक्षा 12वीं के लिए 8 किलोमीटर की दूरी चिखली तक तय कर कला संकाय से पढ़ाई पूरी की।

10 किमी कॉलेज जाने बीच में जंगल है बाधा
हेमलता ने कहा आगे की पढ़ाई उच्च शिक्षा के लिए दल्लीराजहरा स्थित शासकीय नेमीचंद जैन महाविद्यालय मेंं दाखिला की इच्छा थी, लेकिन गांव से दूरी अधिक होने और उस पर जंगल से भरा मार्ग ने उच्च शिक्षा की पढ़ाई से वंचित कर दिया। किसी सहपाठी का साथ भी नहीं मिला, कि गांव से कोई और महाविद्यालय में प्रवेश लिया हो। उन्होंने पीड़ा बताई कि हायर सेकंडरी व महाविद्यालय की दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां अक्सर पढ़ाई से वंचित हो जाती हैं, जिनके परिजन बालोद मुख्यालय अथवा भिलाई-दुर्ग जैसे शहरों में रहते हैं उन बेटियां का उच्च शिक्षा का सपना पूरा हो पाता है। हेमलता ने बताया वर्तमान में वह रेलवे की प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रही है। सौभाग्य रहा तो नौकरी के साथ खेती भी जारी रखूंगी।

बिना बोले पहुंच जाती थी खेत और हल चलाने जिद करती : पिता
पिता हिरामन लाल ने बताया उनके पास लगभग 4 एकड़ खेत है, जिसमें साल में एक बार धान की फसल लेते हैं। परिवार में हेमलता की एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई भी है। हेमलता को बचपन से खेती किसानी के कार्यों में लगाव रहा है। सुबह उठकर अपनी मां के साथ घर केे हर छोटे-बड़े कार्यों में हाथ बंटाते रही है। धीरे से खेत के हर कामों पर भी ध्यान देेने लगी। पहले हल चलाना सीखा, इसमें बैलोंं को हांकना व दाईं अथवा बाईं दिशा की ओर ले जाने की तकनीक जानी। हल पर दबाव रखना, खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से पलटना व धान बुआई की बखूबी जानकारी ली। इसी तरह धान के पौधे तैयार होने के बाद पानी का उचित भराव को जाना।

जबलपुर से ली जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण
हेमलता ने बताया कि जैविक खेती की ओर मेरा ध्यान है। इसलिए खाद व कीटनाशक बनाने की विधि आदि उन्नत कृषि प्रशिक्षण के लिए शासन की ओर से ग्राम धोतिमटोला की 14 महिलाओं के साथ मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित विज्ञान आश्रम में गई थी, जहां जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक बनाने तथा उसकी उपयोगिता के संबंध मेंं तमाम जानकारी प्राप्त की।

पुरस्कार के लिए राज्य शासन से किया है चयन
हेमलता ने स्वयं से 30 लीटर गौ मूत्र मेंं नीम, सीता, करंज, बेशरम और धतूरा आदि के पत्तों को मिलाकर जैविक कीटनाशक तैयार करती है। इन विधियों की वीडियोग्राफी कर तमाम जानकारी बालोद जिला कृषि विभाग के एसडीओ को भेजी गई। एसडीओ ने इसकी जानकारी राज्य शासन को दी थी, जिस पर उन्हें शासन द्वारा रायपुर में विगत 5 अगस्त को पुरस्कृत किए जाने के लिए आमंत्रित किया गया था, परंतु कुछ कारणों से समारोह स्थगित किया गया है। पुरस्कार के लिए गुरुर की एक महिला का भी नाम शामिल है।

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