रायपुर जल विद्युत विभाग के मुताबिक ग्राम चिरईगोड़ी में 1984 में मध्यप्रदेश जल विद्युत गृह का निर्माण किया। लाखों खर्च कर गंगरेल नहर से छोटी नहर नाली के माध्यम से पानी जल विद्युत केंद्र आता था। वहां लगे टरबाइन को पानी घुमाता था। जिससे 200 किलो वाट बिजली उत्पादन होती थी। जिससे चिरईगोड़ी, जामगांव, आंगरी, करहीभदर, मुजगहन, लिमोरा, पीपरछेड़ी, सोरर सहित लगभग 11 गांवों में बिजली सप्लाई की योजना थी। योजना के तहत सिर्फ एक दिन ही बिजली सप्लाई हो पाई। खराबी की वजह से मशीन शुरू नहीं हुई और उसी दिन से बिजली उत्पादन बंद है।
मिली जानकारी के मुताबिक तीन दिन पहले ही जल विद्युत विभाग की टीम चिरईगोड़ी पहुंची। बिजली उत्पादन के लिए लगाई गई सभी मशीनों को लेकर चले गए। अधिकारियों का कहना है कि इसका ऑनलाइन टेंडर हुआ था। उसी के तहत यह कार्रवाई की गई है।
बिजली उत्पादन मशीनों को चलाने के लिए कर्मचारी भी नियुक्त किए गए थे। उनके रहने के लिए लाखों की लागत से क्वार्टर भी बनाया गया। लेकिन वर्तमान में यह क्वार्टर भी जर्जर हो गया। अब भवन असामाजिक तत्व का अड्डा बन गया है।
विभाग ने मशीन को ले जाने के बाद अब यहां बनाए गए भवन सिर्फ शो पीस बनकर रह जाएंगे। चाहते तो इस जल विद्युत गृह को फिर से शुरू करा सकते थे, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधियों ने इसे पुन: शुरू कराने पर जोर नहीं दिया। नतीजा यह रहा कि यह योजना हमेशा के लिए बंद हो गई।
जल विद्युत परियोजना विभाग के एसी ए नशीने ने कहा कि काफी साल से ही बिना उपयोग के ही मध्यप्रदेश शासन काल में बने चिरईगोड़ी का जल विद्युत केंद्र बंद था। जिसके कारण मशीनों को निकाला गया है।