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मप्र के जमाने में 37 साल पहले बने जल विद्युत केंद्र की मशीनों को उखाड़ कर ले गई टीम, 11 गांवों में बिजली सप्लाई होनी थी

locationबालोदPublished: Feb 09, 2021 03:08:15 pm

बालोद जिले के ग्राम चिरईगोड़ी के समीप गंगरेल छोटी नहर में अविभाजित मध्यप्रदेश के शासन काल के समय 37 साल पहले 1984 में लाखों खर्च कर आस पास के 11 गांवों में बिजली सप्लाई करने मध्यप्रदेश जल विद्युत केन्द्र का निर्माण किया गया था। लेकिन यह सिस्टम सिर्फ तीन दिन ही चला।

मप्र के जमाने में 37 साल पहले बने जल विद्युत केंद्र की मशीनों को उखाड़ कर ले गई टीम, 11 गांवों में बिजली सप्लाई होनी थी

मप्र के जमाने में 37 साल पहले बने जल विद्युत केंद्र की मशीनों को उखाड़ कर ले गई टीम, 11 गांवों में बिजली सप्लाई होनी थी

बालोद. जिले के ग्राम चिरईगोड़ी के समीप गंगरेल छोटी नहर में अविभाजित मध्यप्रदेश के शासन काल के समय 37 साल पहले 1984 में लाखों खर्च कर आस पास के 11 गांवों में बिजली सप्लाई करने मध्यप्रदेश जल विद्युत केन्द्र का निर्माण किया गया था। लेकिन यह सिस्टम सिर्फ तीन दिन ही चला। उसके बाद से यहां बिजली उत्पादन ही बंद हो गया। यह योजना बिना उपयोग के ही बंद हो गई। न गांवों को बिजली मिली और न ही उत्पादन हुआ।
बीते 37 साल से खराब मशीनों की सुरक्षा के लिए ही कर्मचारी नियुक्त कर दिया। लंबे समय से खराब पड़े इस जल विद्युत केंद्र के मशीनों की बिक्री की योजना बनाकर ऑनलाइन टेंडर कर रायपुर जल विद्युत केंद्र विभाग ने बेचने की कार्रवाई की। 37 साल बाद तीन दिन पहले ही जल विद्युत केंद्र के मशीनों को उखाड़कर ले गए। यहां तैनात किए गए कर्मचारियों को हटाकर अन्य जगह नियुक्त कर दिया है।
200 किलो वाट बिजली पैदा होती थी
रायपुर जल विद्युत विभाग के मुताबिक ग्राम चिरईगोड़ी में 1984 में मध्यप्रदेश जल विद्युत गृह का निर्माण किया। लाखों खर्च कर गंगरेल नहर से छोटी नहर नाली के माध्यम से पानी जल विद्युत केंद्र आता था। वहां लगे टरबाइन को पानी घुमाता था। जिससे 200 किलो वाट बिजली उत्पादन होती थी। जिससे चिरईगोड़ी, जामगांव, आंगरी, करहीभदर, मुजगहन, लिमोरा, पीपरछेड़ी, सोरर सहित लगभग 11 गांवों में बिजली सप्लाई की योजना थी। योजना के तहत सिर्फ एक दिन ही बिजली सप्लाई हो पाई। खराबी की वजह से मशीन शुरू नहीं हुई और उसी दिन से बिजली उत्पादन बंद है।
जल विद्युत विभाग की टीम मशीन को ले गई रायपुर
मिली जानकारी के मुताबिक तीन दिन पहले ही जल विद्युत विभाग की टीम चिरईगोड़ी पहुंची। बिजली उत्पादन के लिए लगाई गई सभी मशीनों को लेकर चले गए। अधिकारियों का कहना है कि इसका ऑनलाइन टेंडर हुआ था। उसी के तहत यह कार्रवाई की गई है।
शासकीय क्वार्टर हो गए खंडहर
बिजली उत्पादन मशीनों को चलाने के लिए कर्मचारी भी नियुक्त किए गए थे। उनके रहने के लिए लाखों की लागत से क्वार्टर भी बनाया गया। लेकिन वर्तमान में यह क्वार्टर भी जर्जर हो गया। अब भवन असामाजिक तत्व का अड्डा बन गया है।
शो पीस बनकर रहेगा भवन, जनप्रतिनिधि भी नहीं आए आगे
विभाग ने मशीन को ले जाने के बाद अब यहां बनाए गए भवन सिर्फ शो पीस बनकर रह जाएंगे। चाहते तो इस जल विद्युत गृह को फिर से शुरू करा सकते थे, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधियों ने इसे पुन: शुरू कराने पर जोर नहीं दिया। नतीजा यह रहा कि यह योजना हमेशा के लिए बंद हो गई।
जल विद्युत केंद्र कई सालों से बंद
जल विद्युत परियोजना विभाग के एसी ए नशीने ने कहा कि काफी साल से ही बिना उपयोग के ही मध्यप्रदेश शासन काल में बने चिरईगोड़ी का जल विद्युत केंद्र बंद था। जिसके कारण मशीनों को निकाला गया है।
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