भागवत ठाकुर, सुरसिंह निषाद ने ग्रामीणों की पीड़ा बताई और कहा कि पूरे जिले में सिर्फ
हमारा गांव ही सबसे ज्यादा उपेक्षित है। इस गांव में सिर्फ चुनाव के समय जनप्रतिनिधि आते हैं। चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि ही भूल जाते हैं। यही हाल अधिकारी व शासन-प्रशासन का है।
चुनाव के बाद यहां ग्रामीणों ने पहली बार जनप्रतिनिधियों को बुलाया। रविवार को पूर्व विधायक डोमेन्द्र भेडिय़ा व जनपद सदस्य राजाराम तारम गांव पहुंचे। ग्रामीणों ने समस्याओं से जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया। ग्राम विकास समिति अध्यक्ष ने ग्रामीणों की ओर से सीसी मार्ग, सांस्कृतिक भवन, गली में बिजली व पुल निर्माण की मांग की है, जिस पर तत्काल पहल करने की बात कही है।
जिले में कोई राहटा नाम का गांव है, इसके बारे में लोगों को पता ही नहीं था। इस गांव की बेटियां खुद ही पीपे की नाव बनाकर खरखरा जलाशय में तीन किमी दूर अरजपुरी पढ़ाई करने जाती थीं। बेटियों के इस साहस व प्रशासन की अनदेखी का वीडियो वायरल हुआ तो इस गांव की खबर, अखबारों व मीडिया में आने लगी। पत्रिका ने भी इस गांव की समस्याओं को लगातार प्रकाशित किया, जिसके बाद प्रशासन कि टीम तत्काल गांव पहुंची। ग्रामीणों की माने तो वह दिन गांव के इतिहास में पहला दिन था, जब जिला प्रशासन के अधिकारी कलेक्टर, एसपी, अन्य अधिकारी, नेता पहुंचे थे। वीडियो दयालु राम पिंगेश्वर ने बनाया था।
सरपंच सीमा मंडावी ने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं के बारे में समय-समय पर जनपद में भी जानकारी दी जाती है। अधिकारियों को भी अवगत कराते हैं लेकिन जिस तरीके से पहल होनी चाहिए, वह नहीं हो रही। शासन-प्रशासन इस गांव की भी सुध ले। रविवार को कार्यक्रम में सरपंच सीमा मंडवी, ग्रामीण अध्यक्ष कैलाश राम, मदन लाला ओटी, कपिल, बनिता कोठारी, दिलीप कुमार आदि उपस्थित रहे। डोमेन्द्र भेडिय़ा, पूर्व विधायक डौंडीलोहारा ने बताया कि ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत हुए हैं। समस्याओं को शासन-प्रशासन के पास रखकर दूर करने का प्रयास किया जाएगा। राजाराम तारम, जनपद सदस्य डौंडीलोहारा ने कहा कि ग्रामीणों की मांग जायज है। आगामी सामान्य प्रशासन की बैठक में इस गांव की समस्या दूर करने चर्चा की जाएगी। जनपद सदस्य निधि की राशि से भी इस गांव में विकास कराएंगे।