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यहां एक ऐसा भी कार्यालय है जहां दोपहर बाद शुरू होता है कामकाज

locationबालोदPublished: Aug 06, 2018 12:02:49 am

जिले के सबसे बड़े तहसील के उपपंजीयक कार्यालय में अव्यवस्था से यहां काम से आने वाले लोग खासे परेशान रहते हैं। यहां कार्यरत कर्मचारी समय पर कार्यालय ही नहीं पहुंचते।

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बालोद/डौंडीलोहारा. जिले के सबसे बड़े तहसील के उपपंजीयक कार्यालय में अव्यवस्था से यहां काम से आने वाले लोग खासे परेशान रहते हैं। यहां कार्यरत कर्मचारी समय पर कार्यालय ही नहीं पहुंचते। ऐसे में इतने बड़े तहसील क्षेत्र से आने वाले जमीन खरीदी-बिक्री करने रजिस्ट्री कराने आम लोग दोपहर तक कर्मचारियों के आने का इंतजार करते रहते हैं। इस वजह से अक्सर उनका काम नहीं हो पाता, या फिर काफी लेट हो जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के उपपंजीयक कार्यालय में पदस्थ अधिकारी व कर्मचारी अपनी मर्जी के मुताबिक आते-जाते हैं। इस कारण जमीन की खरीदी-बिक्री की रजिस्ट्री कराने वाले लोगों को भटकना पड़ता है। वहीं दूसरी परेशानी उपपंजीयक कार्यालय में दलालों के काम जल्द होने की बात भी सामने आ रही है। ऐसे में कहा जा सकता है कार्यालय पूरी तरह जमीन दलालों के चंगुल में है।

यहां होता है दलालों के काम पहले : ग्रामीण
लोगों के अनुसार जमीन दलालों के कारण हमारे काम देर से किए जाते हैं। वहीं ये बात भी सामने आ रही है कि यहां दलालों के अनुसार ही जमीन की खरीदी-बिक्री की रजिस्ट्री होती हैं। मामले में जमीन खरीदी-बिक्री के लिए रजिस्ट्री कराने पहुंचे कुछ ग्रामीणों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि डौंडीलोहारा के उपपंजीयक कार्यालय भगवान भरोसे ही चल रहा है। यहां के अधिकारी-कर्मचारी समय में कभी भी कार्यालय में नजर नहीं आते। निर्धारित कार्यालयीन समय पर पहुंचो तो यहां की अधिकांश कुर्सियां खाली रहती हैं।

पहले बालोद में पटाते हैं चालान, फिर आते हैं कार्यालय
कार्यालय में पदस्थ लिपिक के बारे में जानकारी मिली कि यहां सुविधा नहीं होने के वजह से बालोद में चालान पटाने उन्हें बालोद स्थित बैंक जाना पड़ता है। इस वजह से वे प्रतिदिन दोपहर बाद ही डौंडीलोहारा पहुंचते हैं। इस वजह से कार्यालय का काम प्रभावित होता है। ऐसे में जमीन रजिस्ट्री कराने पहुंचे ग्रामीणों को घंटो बैठकर अधिकारी-कर्मचारियों के आने का इंतजार करना पड़ता है। मामले में लोगों का मानना है कि इस वजह से रजिस्ट्री नहीं होने के कारण शासन को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। जिला प्रशासन भी मामले में मूक दर्शक है। यहां की व्यवस्था नहीं सुधर पा रही है।

खरीदी-बिक्री करने वालों से कमीशन मिल जाता है और बदनामी भी नहीं
यहां तीसरी परेशानी ये सामने आइ है कि उपपंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री के बदले कमीशनखोरी (इनाम) का खेल चलता है। रजिस्ट्री होने के बाद कर्मचारी द्वारा क्रय-विक्रय करने वाले पक्षकारों से इनाम कहकर मोटी रकम मांगी जाती है। इस राशि को पक्षकारों से सीधे ना लेकर दस्तावेज लेखकों व जमीन दलालों के माध्यम से लिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया जबकि शासन की गाइडलाइन है कि खरीदी-बिक्री करने वाले पक्षकार अपनी जमीन शासन द्वारा निर्धारित शुल्क अदाकर दस्तावेज लेखकों द्वारा बैनामा लिखवाकर स्वयं प्रस्तुत कर सकता है। फिर भी दस्तावेज लेखकों के माध्यम से कमीशन का खेल चल रहा है। ऐसे में अधिकारी-कर्मचारी मामले में सीधे तौर पर बच जाते हैं और बदनामी का भी डर नहीं रहता।

हर साल मिलता है चार करोड़ का राजस्व
माना जाता है कि सबसे अधिक जमीन की खरीदी-बिक्री जिले के डौंडीलोहारा उपपंजीयक कार्यालय में होती है। यहां के कार्यालय में प्रतिवर्ष 4 करोड़ रुपए का राजस्व शासन को प्राप्त होता हैं। डौंडीलोहारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और जिले के सबसे बड़ा विकासखंड भी। सिंचित जमीन को असिंचित, पक्का मकान को खपरैलयक्त बताकर या पक्के रोड से लगी जमीन बताकर, धरसा जमीन का स्थल निरीक्षण किए बगैर ही रजिस्ट्री भी करा ली जाती है। ऐसे में जमीन दलालों को पंजीयक शुल्क कम लगता है और मोटी रकम भी मिल जाती है, ऐसे में शासन को राजस्व का भी नुकसान होता है।

चालान पटाने की यहां नहीं है व्यवस्था
रजिस्ट्री कायार्लय डौंडीलोहारा में पदस्थ क्लर्क ने बताया चालान पटाने की व्यवस्था यहां नहीं है इसलिए मैं प्रतिदिन बालोद में चालान पटाकर डौंडीलोहारा पहुंचता हूं इसके कारण कार्यालय पहुंचने में लेट हो जाती है।

स्थानीय एसबीआई में चालान पटाने की सुविधा हो जाए तो यह समस्या समाप्त हो जाएगी
उप पंजीयक डौंडीलोहारा सुरजन टोप्पो ने कहा मैं बैठक में व्यस्त था। कार्यालय में कुल 3 का स्टॉफ पदस्थ है। बाबू के प्रतिदिन चालान पटाकर बालोद से आने के कारण कार्यालय आने में लेट हो जाती है। स्थानीय एसबीआई में चालान पटाने की सुविधा हो जाए तो यह समस्या समाप्त हो जाएगी। किसी भी प्रकार के लेन-देन की बात पूर्णत: गलत है।

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