बालोद जिले में एक दिन पहले गुड़ाखू 190 रुपए पूड़ा बिक रहा था। सख्ती और लॉकडाउन की अफवाह के बाद दाम 24 घंटे में 500 रुपए पूड़ा पहुंच गया। अब कई दुकानों से गुड़ाखू गायब हो गया है। यही स्थिति गुटखा की भी है।
बीते साल कोरोना बढऩे के साथ जिले में प्रशासन ने सख्ती बरती थी। उस समय भी 10 रुपए के नमक के लिए मारामारी हो गई थी। 10 रुपए का नमक पैकेट 50 रुपए तक बेचा गया। वास्तव में पर्याप्त नमक दुकानों में था। अवसरवादी व्यापारियों को इस विकट परिस्थिति में लोगों की परेशानी को समझना चाहिए। इस समय आम जनता का सहयोग करने की जरूरत है न कि मुनाफाखोरी की। ऐसे व्यापारियों पर प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। ताकि दोबारा अधिक दाम पर सामान न बेच सकें।
कोरोना की आड़ में लॉकडाउन की अफवाह फैलाकर मुनाफाखोरी का खेल शुरू हो गया है। हालात यह है कि रोजमर्रा की जरूरत का सामान दोगुने से भी ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है। शहर के साथ ग्रामीण इलाके की किराना दुकानों में गुड़ाखू सहित में सभी तम्बाकू उत्पाद दोगुने दाम पर बिक रहे हैं। वहीं तेल और दाल की कीमत में भी 10 फीसदी तक बढ़ोतरी कर बिक्री की जा रही है।
कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में ऐहतियात बरता जा रहा है। प्रदेश और जिले में आंशिक तौर पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। वहीं बाजारों में भी ऐहतियात के साथ दुकानों को खोलने कहा जा रहा है। इसका मकसद बाजारों में भीड़ कम कर संक्रमण के खतरे को कम करना है, लेकिन इसकी आड़ में किराना दुकानों में मुनाफाखोरी की शिकायत सामने आ रही है। संकट की स्थिति का फायदा उठाकर दुकानदार मनमानी कीमत पर सामान बेच रहे हैं।
जिस तरीके से अचानक मूल्य वृद्धि हुई, उससे साफ है कि जमाखोरी का खेल शुरू हो गया है। फुटकर व्यापारियों का कारोबार मेला मंडई बंद होने से ठप हो गया। लेकिन बड़े व्यापारियों की चांदी हो गई है। वर्तमान में कई लोग व दुकानदार ग्राहकों को कह रहे हैं कि लॉकडाउन होने वाला है। लेकिन ऐसा कोई आदेश नहीं आया है।