बालोद

पिता पहले गुजर गए थे कोरोना महामारी ने छिन ली मां की ममता, अनाथ हुए दो बच्चों का समाज और गांव बना सहारा

Patrika Positive News: कोरोना से मां की मौत के बाद अनाथ हुए दो नाबालिग बच्चों के लिए आदिवासी समाज ने बड़ा दिल दिखाते हुए मदद का हाथ बढ़ाया है।

बालोदMay 20, 2021 / 01:17 pm

Dakshi Sahu

पिता पहले गुजर गए थे कोरोना महामारी ने छिन ली मां की ममता, अनाथ हुए दो बच्चों का समाज और गांव बना सहारा

बालोद. कोरोना (Coronavirus in Chhattisgarh) से मां की मौत के बाद अनाथ हुए दो नाबालिग बच्चों के लिए आदिवासी समाज ने बड़ा दिल दिखाते हुए मदद का हाथ बढ़ाया है। समाज ने मानवता की अनोखी मिसाल पेश करते हुए अनाथ बच्चों (orphaned children ) की न सिर्फ आर्थिक मदद की बल्कि उनके बेहतर भविष्य की भी जिम्मेदारी ली है। सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक गुंडरदेही के अध्यक्ष थानसिंह मंडावी ने बताया कि ग्राम खुरसुल अर्जुंदा में आदिवासी गोंड समाज की महिला ललिता बाई ठाकुर की कोरोना से सप्ताहभर पहले मौत हो गई। अब उसके परिवार में दो संतान है। मूर्ति ठाकुर (16) एवं नरेंद्र ठाकुर (13) हैं। इस परिवार में देखभाल के लिए कोई नहीं है। पिता की मृत्यु 10 वर्ष पहले हो चुकी है।
आर्थिक सहायता की
बच्चों के नाना एवं दादा परिवार में भी कोई नहीं होने के कारण दोनों भाई बेसहारा हो गए हैं। बच्चों की स्थिति जानकर गोंडवाना गोंड महासभा ब्लॉक/तहसील गुंडरदेही ने पांच हजार रुपए आर्थिक सहयोग राशि और आदिवासी गोंड समाज परिक्षेत्र बरबसपुर ने तीन हजार रुपए दिए। इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के ब्लॉक अध्यक्ष थानसिंह मंडावी, गोंड समाज के ब्लॉक सचिव टिकेंद्र ठाकुर, कोषाध्यक्ष सेवंत मंडावी, बरबसपुर परिक्षेत्र के अध्यक्ष सुखूराम तारम, सचिव प्रवीण मंडावी, राजू लाल ठाकुर मार्गदर्शक, सर्किल अध्यक्ष अमोली राम ठाकुर, तिहारू राम मंडावी, जानू राम नेताम, बाबू राम पड़ोटी, ताराचंद देवांगन पूर्व सरपंच, लक्ष्मीनारायण ठाकुर, हरिचंद साहू, मोहन साहू, झाड़ू राम देवांगन, जगदीश साहू, गोविन्द साहू, घनश्याम ठाकुर, चैती बाई यादव, अनिता ठाकुर उपस्थित थे।

घर की कराई मरम्मत, आर्थिक मदद दी
कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चे गांव के आदिवासी समाज की देखरेख में गुजर बसर कर रहे हैं। समाज के लोग पारी-पारी से रात में बच्चों के घर सोने जाते हैं। उनका मकान जर्जर था। गांव के लोगों ने मिलजुलकर अपने स्तर पर मकान को रहने लायक बनाया है। बच्चे मां को याद करके बार-बार सिसक पड़ते हैं, ऐसे में ग्रामीण एक परिवार की तरह उनका दु:ख बांटने की कोशिश कर रहे हैं।
राशन सहित जरूरत का सामान पहुंचा रहे
मां की कोरोना से मौत के बाद अनाथ हुए मूर्ति ठाकुर ने कक्षा ग्यारहवीं की पढ़ाई पूर्ण कर ली है। नरेंद्र ठाकुर आठवीं में है। दोनों बच्चे आगे पढ़ाई करना चाहते हैं। मां के निधन के बाद ग्रामवासी अंतिम संस्कार से लेकर अब तक सहयोग कर रहे हैं, राशन सहित जरूरत का सामान पहुंचा रहे है। आदिवासी गोंड समाज के मुखिया ने गांव पहुंचकर दोनों बच्चों की शिक्षा एवं परवरिश करने का बीड़ा उठाया।

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