scriptअफसरों ने बालोद जिले के दो गांवों को कवर्धा और बिलासपुर का हिस्सा बताया, 4 साल से इनकी गलती की सजा भुगत रहे सौ परिवार | Two villages of Balod district are described as part of another zila | Patrika News

अफसरों ने बालोद जिले के दो गांवों को कवर्धा और बिलासपुर का हिस्सा बताया, 4 साल से इनकी गलती की सजा भुगत रहे सौ परिवार

locationबालोदPublished: Oct 19, 2020 05:45:08 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना में अधिकारियों की लापरवाही और मैपिंग गड़बड़ी से जिले की तीन ग्राम पंचायतों के सैकड़ों पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ चार वर्षों से नहीं मिल पा रहा है।

अफसरों ने बालोद जिले के दो गांवों को कवर्धा और बिलासपुर का हिस्सा बताया, 4 साल से इनकी गलती की सजा भुगत रहे सौ परिवार

अफसरों ने बालोद जिले के दो गांवों को कवर्धा और बिलासपुर का हिस्सा बताया, 4 साल से इनकी गलती की सजा भुगत रहे सौ परिवार

बालोद. केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना में अधिकारियों की लापरवाही और मैपिंग गड़बड़ी से जिले की तीन ग्राम पंचायतों के सैकड़ों पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ चार वर्षों से नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की। तब अधिकारियों ने जिले के सभी गांवों की मैपिंग की और उसमें गड़बड़ी कर दी। इससे बालोद विकासखंड की ग्राम पंचायत मुख्यालय बोड़की को बिलासपुर के कोटा, ग्राम पंचायत मुख्यालय भेंगारी को कवर्धा के सहसपुर लोहारा एवं ग्राम पंचायत मुख्यालय भोईनापार को बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम महाराजपुर के आश्रित ग्राम के रूप में दर्शा दिया। जिसके कारण बोड़की, भेंगारी व भोईनापार के 100 से ज्यादा पात्र हितग्राहियों को कच्चे और जर्जर मकान में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। इन ग्राम पंचायतों के आश्रित ग्राम में प्राधनमंत्री आवास बन रहे हैं, लेकिन पात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल रहा है।
गरीबों को अब तक नहीं मिला पक्का मकान
जिला पंचायत के मुताबिक 1 अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत हुई। जिलेभर के गांवों की ऑनलाइन मैपिंग की गई तो मैपिंग अधिकारियों ने गड़बड़ी कर दी। इन तीनों ग्राम पंचायत मुख्यालयों का नाम बालोद जिला के प्रधानमंत्री आवास मैपिंग से ही गायब हो गया है और वे दूसरे जिले में प्रदर्शित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य प्रत्येक गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के सॉफ्टवेयर में नहीं है नाम
जिला पंचायत बालोद के सीईओ लोकेश चंद्राकर ने कहा कि जिले के तीन ग्राम पंचायत भोईनापार, बोड़की एवं भेंगारी का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के सॉफ्टवेयर में नहीं है, जिससे इन तीन गांवों में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। मामले की जानकारी शासन को पत्र के माध्यम से दी गई है। जैसे ही सॉफ्टवेयर में इनका नाम प्रदर्शित होता है, यहां के ग्रामीणों को इसका लाभ दिया जाएगा।
विभागीय जानकारी के मुताबिक इस गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद फरवरी में ही प्रधानमंत्री आवास योजना दिल्ली की टीम ने बालोद आकर गड़बड़ी के संबंध में जानकारी मांगी, लेकिन कुछ हल नहीं निकल पाया। इस संबंध में पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने भी एक साल पहले ही प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) विकास आयुक्त अधिकारी को भी जानकारी दी थी। यहां से भी कोई जवाब नहीं आया। अब जिला पंचायत बालोद के प्रधानमंत्री आवास विभाग भी परेशान हो गया है।
आश्चर्य की बात यह है कि ग्राम पंचायत भोईनापार, बोड़की एवं भेंगारी ये तीनों पंचायत मुख्यालय हैं, लेकिन बिलासपुर और कवर्धा जिले में इनका नाम आश्रित ग्राम के रूप में प्रदर्शित हो रहा है। दूसरी बड़ी बात यह है कि इन तीनों ग्राम पंचायत के आश्रित ग्रामों का नाम मैपिंग में है। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पात्र हितग्रहियों को मिल रहा है। सिर्फ पंचायत मुख्यालयों के मैपिंग में गड़बड़ी है। इसके लिए दिल्ली से टीम आई थी, लेकिन टीम को बैरंग लौटना पड़ा।
जिले की पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने शासन को चार माह पूर्व पत्राचार कर अवगत कराया था। दिल्ली तक भी जाकर इस त्रुटि को सुधारने प्रायास किया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब भी जिले की तीन ग्राम पंचायतों का नाम अन्य जिलों में दिखाई दे रहा है, उसे सुधार करने लिखा गया है। यह सुधार राज्य शासन को करना है। जिसमें बिलासपुर जिले में नाम दिख रहा है, इसलिए बालोद जिले में नहीं दिख रहा है। कब यह गड़बड़ी सुधरेगीष। पात्र व जरूरतमंद को प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिलेगा, यह अधिकारी भी नहीं बता पा रहे है।
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