वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया में डाला तो वायरल हो गया। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। कलेक्टर ने इस वीडियो को देखने के बाद तत्काल स्वास्थ्य विभाग की बैठक ली और युवक की जानकारी ली। वहीं सिविल सर्जन डॉ. एसएस देवदास ने कहा कि मरीज ने जानबूझकर यह वीडियो बनाया है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। लगातार मरीजों की देखरेख चिकित्सकों की निगरानी में हो रही है। वीडियो अस्पताल की गंदगी व अव्यवस्था को दिखा रही है। हालांकि वीडियो जारी होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन अव्यवस्था को मनाने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि यहां सभी व्यवस्थाएं ठीक हैं।
कोरोना संक्रमित युवक ने पहले अस्पताल की समस्या बताई, फिर उसने पोस्ट लिखकर कहा कि इस वीडियो को बनाने का मतलब यह है कि यहां की अव्यवस्था के बारे में लोगों को पता चले। भर्ती होने के बाद न डॉक्टर आते हैं और न सफाई कर्मी। यही नहीं सबसे बड़ी लापरवाही ऑक्सीजन लगाने के बाद उसे दोबारा देखने तक कोई नहीं आता।
कोरोना की दूसरी लहर में यह पहली बार है, जब किसी अस्पताल की पोल वीडियो के माध्यम से खुली है। कई बार कोरोना के इलाज के लिए भर्ती मरीजों का सही इलाज नहीं करने का आरोप लगते रहा है। इस वायरल वीडियो ने अस्पताल प्रबंधन को और चौकन्ना कर दिया है। हालांकि सिविल सर्जन ने कहा कि वीडियो के बारे में स्वास्थ्य मंत्री को भी पता है। हमने व कलेक्टर ने यहां की स्थिति के बारे में शासन को अवगत कराया है। यह वीडियो गलत तरीके से बनाया है ऐसा कुछ नहीं है।
संक्रमित मरीज डिकेश ने बताया कि यहां तो समय पर पानी भी नहीं मिलता। पानी के लिए चिल्लाना पड़ता है। हर हाल में व्यवस्था सुधारनी चाहिए। नहीं तो मरीजों स्थिति और ज्यादा बिगडऩे लगती है। अटेंडर नहीं होने की वजह से भी कई बार जैसा ख्याल मरीजों का होना चाहिए, वैसा नहीं होता।
बुधवार को डौंडीलोहारा के 67 वर्षीय सदाराम के परिजन ने बताया कि उनके दादा 24 अप्रैल को कोविड-19 अस्पताल में भर्ती हुए। यहां स्टाफ की बहुत कमी है। जल्द स्टाफ बढ़ाना चाहिए, क्योंकि भर्ती होने के बाद मरीज का स्वास्थ्य बिगड़ा तो समय पर स्टाफ नहीं आ पाता है। मरीजों की स्थिति बिगडऩे लगती है।