जानिए, आखिर कैसे होता है ३० हजार लीटर पानी बर्बाद शहर में 3000 घरों में पानी टंकी लगी है, जिसे मोटर पंप या पावर पंप से भरते हैं। इस टंकी को भरते समय हम सावधानी नहीं बरतते। मोटर पंप का बटन दबाकर दूसरे कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। टंकी भर कर छलकते रहता है, या फिर ओवर फ्लो पाइप से बहते रहता है। इस तरह एक टंकी से औसतन 10 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। अब 3000 घरों में लगी टंकियों से १० का गुणा करें तो 30,000 लीटर पानी होता है।
पानी सप्लाई शुरू होने के बाद वाल्व को खोलकर छोड़ देते हैं टंकियों से पानी सप्लाई शुरू होते ही वाल्व को खोलकर छोड़ देते हैं, या फिर मोटर पंप के बटन को चालू कर अन्य कार्यों में उलझ जाते हैं। इससे टंकी भरकर ओवर फ्लो होकर बहते रहता है। जब ख्याल आता है तब मोटर को बंद करते हैंया कोई आवाज देगा तब हमें टंकी से पानी छलकने की बात पता चलता है।
पानी बचाने की नहीं सोचेंगे, तो हमें लगानी पड़ सकती है कतार यदि हम पानी को बचाने के बारे में नहीं सोंचेंगे तो भविष्य में हमें भी जल संकटग्रस्त वार्डवासियों की तरह पानी के लिए तकलीफ उठाना पड़ेगा। पानी के लिए टैंकर का इंतजार करते लाइन लगाना पड़ सकता है। यही नहीं स्थिति इससे भी विकराल हो सकती है। पानी की बर्बादी रोकना हम सबका नागरिक कर्तव्य है।
बोरपंप है इसलिए चिंता नहीं जरा चार वार्डों का हाल जानिए शहर के २० वार्डो में से चार वार्डों में सबसे अधिक जल संकटग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। कुंदरूपारा, पाररास, बूढ़ापारा, बैराज तालाब पार के लोगों को गर्मी में बड़ी मुश्किल से पानी मिलता है। टैंकर से पानी लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, या फिर पावर पंप या हैंडपंप के सामने कतार में खड़े रहना पड़ता है। कभी-कभी वार्डवासी पानी के लिए दिनभर परेशान रहते हैं।
बिना टोंटी के नल और लीकेज से भी बर्बाद होता है पानी नलों में टोंटी नहीं होने ये पाइप लाइन लीकेज के कारण भी रोज बड़ी तादाद में पानी बेकार बहता है। क्योंकि नगर निगम प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं देता। पानी बहते रहता है जैसै किसी को कोई मतलब नहीं। इस ओर निगम के जिम्मेदारों के साथ हमें भी ध्यान देना होगा।
ध्यान दें, तो हर महीने बचेगा ३ लाख लीटर पानी टंकी से होने वाली बर्बादी की गणना महीनेभर का किया जाए तो ३० हजार लीटर प्रतिदिन के हिसाब से ३० दिनों में ३ लाख लीटर होता है। यानि हर महीने टंकियों से ३ लाख लीटर शुद्ध पानी ओवर फ्लो होकर नालियों में बह जाता है। ध्यान दें तो हर महीने पूरे शहर के लिए सप्ताह भर का पानी बचा सकते हैं। जबकि नगर को नगर पालिका एक समय में ८ लाख लीटर पानी सप्लाई करती है। जो टंकियों और पाइप लाइन के माध्यम से घरों तक पहुंचता है।
यह पानी रोज ५०० लोगों के लिए है पर्याप्त प्रति व्यक्ति पानी की राष्ट्रीय औसत खपत १३५ लीटर है। मतलब एक व्यक्ति को एक दिन में १३० लीटर पानी उपलब्ध कराना श्रेष्ठ औसत है। इस तरह ३ लाख लीटर पानी को १३५ लीटर के हिसाब से ५०० लोगों के लिए होता है। मतलब साफ है कि हम बर्बादी को रोक कर सैकड़ों लोगों के लिए पानी बचा सकते हैं।
मात्र 20 फीसदी लोग हैं जागरुक टंकी भरने पर पंप बंद करने के मामले में २० फीसदी जगरूक हैं। वे तुरंत मोटर बंद कर देते हैं। बाकी ८० फीसदी लोग टंकी भरने के बंद करने में तत्परता नहीं दिखाते। टंकी भरने के बाद मोटर को बंद करने में एक से डेढ़ मिनट भी लगाते हैं तो तब तक १० लीटर टंकी से ओवरफ्लो होकर बह चुका होता है। एक से डेढ़ मिनट के अंतराल में एक एचपी का मोटर पंप से आसानी से १० लीटर पानी नीचे से उपर फेंक देता है, जो टंकी से ओवर फ्लो हो जाता है।
पंप समय पर बंदकर व टंकी में फुटबाल लगाकर बचाएं पानी इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर डीके देवांगन ने कहा पानी बचाने के लिए हमें जागरूक होना पड़ेगा। ज्यादातर घरों में एक एचपी पावर पंप का इस्तेमाल किया जाता है। इससे ५०० लीटर क्षमता के टंकी को भरने में अधिकतम १० मिनट का समय लगता है। इस समय पर बंदकर पानी को बचा सकते हैं। इसके अलावा टंकियों में फुटबाल लगाकर भी पानी बहने बचाया जा सकता है। इससे बिजली भी बचेगी।
पानी बचाने कराएंगे मुनादी नगर पालिका परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी रोहित साहू ने कहा पानी बचाने समय-समय पर लोगों को जागरूक करते रहते हैं। अब टंकी से गिरते पानी को बचाने भी मुनादी कराकर लोगों को जागरूक करेंगे।