चार लोगों को अंग्रेजों ने किया गिरफ्तार
मिली जानकारी के मुताबिक जल सत्याग्रह के लिए चलाए गए किसानों के आंदोलन को तितर-बितर करने अंग्रेजों ने 19 अक्टूबर 1930 को सभा में भगदड़ करा दिया। इस गांव के इन चार लोगों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया। इसके बाद जेल भेज दिया गया। जेल में 24 दिन तक रहे और 24 नवंबर 1930 को रिहा हुए।
छत्तीसगढ़ के गांधी के साथ भी चलाया अभियान
जेल से रिहा होने के बाद नारागांव के इन चारों युवाओं ने छत्तीसगढ़ के गांधी कहे जाने वाले पं. सुंदर लाल शर्मा के साथ भी काम किया। अपने क्षेत्र में गांव-गांव जाकर लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जागरूक करने लगे। लोगों को जागरूक करने इन्होंने नाटक मंचन का भी सहारा लिया।
स्मृति स्थल को संरक्षित करने की मांग
जिला प्रशासन गांव में स्थित सेनानी स्मृति गौरव स्थल को संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं कर पाया है। इसके कारण लोगों को उनके स्वाधीनता आंदोलन में योगदान और संघर्ष गाथा की संपूर्ण जानकारी नहीं मिल पाई है। सेनानियों के परिजन और ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से उनके स्मृति स्थल को संरक्षित करने की मांग की है।