घटना बुधवार की है। युवक की आत्महत्या करने का कारण पुलिस के बयान में सच्चाई सामने आया। तब मामले की सच्चाई सामने आई कि शीत कुमार ने तीन साल से निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि की तीन किस्त नहीं मिलने एवं कर्ज के तगादे से परेशान होकर घातक कदम उठा लिया। शनिवार को जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी पीडि़त परिवार के घर पहुंचे। पटवारी ने परिजनों का बयान लिया।
परिजनों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मृतक शीतकुमार के पिता रामचरण के नाम से प्रधानमंत्री आवास आया था। 2019 में अपने कच्चे मकान को तोड़ा और नए मकान का निर्माण करने लगा। प्रधानमंत्री आवास के लिए मात्र प्रथम किस्त के रूप में 25 हजार रुपए ही मिले। कुछ दिनों बाद मृतक के पिता रामचरण की मौत हो गई, जिसके बाद शीत कुमार के नाम से आवास को रखा गया और आवास का निर्माण शुरू कराया।
मृतक के चाचा कुश ने बताया कि कई बार प्रधानमंत्री आवास की राशि दिलाने गुरुर जनपद भी गए। गुरुर जनपद से एक ही जवाब मिलता रहा, हम कुछ नहीं कर सकते। राशि आने के बाद ही रुपए हितग्राहियों के खाते में डाली जाएगी।
शीत कुमार ने प्रधानमंत्री आवास बनाने 2019 में अपना मकान तोड़ा और गांव के ही एक घर में रहने लगे। आज तीन साल से इनका परिवार यहीं रह रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री अवास निर्माण उनकी जमीन पर निर्माणाधीन है।
आवास निर्माण के लिए जनपद के अधिकारियों ने कहा, जिसके बाद मकान तोडऩे व काम शुरू करने में थोड़ी देरी हुई तो जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों ने नोटिस पर नोटिस भेजा। जब आवास निर्माण का कार्य शुरू हुआ और प्रथम किस्त की राशि आई, उसके बाद से सब मौन हो गए।
मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं। अब जांच के बाद स्पष्ट होगा कि आखिर किस वजह से शीत कुमार ने आत्महत्या की। परिजनों व पड़ोसियों ने साफ कहा कि सिर्फ प्रधानमंत्री आवास की राशि व कर्ज के कारण परेशान रहता था। जिला पंचायत सीईओ व कलेक्टर से जानकारी लेने संपर्क किया गया, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।
परिजनों के मुताबिक घर की पूरी जिम्मेदारी शीतल पर ही थी। कोई उधार मांगने आता था, उसे आश्वासन देता था कि जैसे ही प्रधानमंत्री आवास की राशि आएगी वैसे ही रुपए दे देंगे। अपनी मां से भी कहता था कब कर्ज चुकाएंगे। कई बार इस कारण खाना भी नहीं खाता था।
मृतक की मां रूखमणी व उनके चाचा कुश कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास की प्रथम किस्त की राशि आने के बाद दूसरी किस्त की राशि सालभर तक नहीं आया। घर बनाना जरूरी था तो उन्होंने अपनी जमीन को बेच दी। वहीं उधार में ईंट, सीमेंट, सरिया, रेत ली थी, उसका भुगतान किया। जैसे-तैसे प्रधानमंत्री आवास को चौखट टॉप तक निर्माण उधार लेकर कराया। इस उधार की राशि को चुकाने के लिए उन्होंने अपनी मां रूखमणी के नाम से ग्रामीण बैंक से समूह लोन से 50 हजार रुपए निकाले थे, लेकिन आवास निर्माण में ही कर्ज ज्यादा होने से 50 हजार भी कम पड़ गया। जिनसे उधार लिया, वे लोग रुपए की मांग करने लगे। जिससे वह परेशान रहता था।
इधर विभागीय सूत्रों के मुताबिक मृतक शीत कुमार के पिता की मौत के बाद उसकी मां को नॉमिनी रहना था। लेकिन उसका नाम नहीं जुड़ पाया था। इस वजह से उसे दूसरी किस्त की राशि नहीं मिली। हालांकि अब उनकी मां को नॉमिनी बनाया गया है।
सरपंच, कोचवाही केकती बाई ने बताया कि सरकार को प्रधानमंत्री आवास की राशि का भुगतान करना चाहिए। सब परेशान हैं। पता नहीं राज्य सरकार क्यों राशि नहीं दे रही है। सरपंच संघ लगातार आंदोलन भी कर रहा है। मामले को सरकार गंभीरता से लेना चाहिए।
एडिशनल सीईओ, जिला पंचायत हेमंत ठाकुर ने बताया कि आपसे जानकारी मिल रही है। घटना दु:खद है। जानकारी लेता हूं। प्रधानमंत्री आवास की राशि की मांग को लेकर शासन को पत्र लिखा है। राशि मिलने के बाद आवंटन किया जाएगा।