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बलौदाबाजार में बेरोजगारी बनी मुद्दा, सड़क और रेल भी मांग रही जनता

locationबलोदा बाज़ारPublished: Nov 05, 2018 06:55:41 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

बलौदा बाजार विधानसभा में मुकाबला त्रिकोणीय है लिहाजा एक ओर जहां मतदाताओं की नजरें सभी प्रत्याशियों पर जमी हुई हैं वहीं प्रत्याशियों द्वारा भी वायदों की झड़ी लगाई जा रही है।

Pollution in Devsar Hospital Singrauli, patient disturb for road dust

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बलौदा बाजार. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए बलौदा बाजार विधानसभा सीट के लिए आगामी 20 नवंबर को मतदान होना है। नाम निर्देशन पत्र के दाखिले तथा शनिवार को स्कूटनी पश्चात अब सभी प्रत्याशियों द्वारा अपने जनसंपर्क तेज कर दिए गए हैं।
बलौदा बाजार विधानसभा में मुकाबला त्रिकोणीय है लिहाजा एक ओर जहां मतदाताओं की नजरें सभी प्रत्याशियों पर जमी हुई हैं वहीं प्रत्याशियों द्वारा भी वायदों की झड़ी लगाई जा रही है। वायदों की झड़ी के बीच कई स्थानीय मुद्दे हैं जो इस चुनाव में प्रत्याशियों से लेकर मतदाताओं तक निर्णायक साबित होंगे जिन पर सभी राजनैतिक दलों की नजरें जमी हैं। बलौदा बाजार से अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट
विदित हो कि बलौदा बाजार जिले की चारों विधानसभा सीट बिलाईगढ़, कसडोल, भाटापारा तथा बलौदा बाजार के लिए दूसरे चरण में यानि 20 नवंबर को मतदान होना है। दीपावली त्यौहार, नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों के लिए प्रचार-प्रसार, जनसंपर्क के लिए बमुश्किल 16-17 दिन ही बचते हैं। दोनों ही पार्टियों के साथ ही साथ मतदाताओं के बीच भी कई चुनावी मुद्दे अधपके रूप से तैयार हैं जों चुनावी आंच में पूरी तरह से सेंके जाएंगे तथा इन मुद्दों का चुनावों के दौरान खूब इस्तेमाल किया जाएगा।
बलौदा बाजार विधानसभा में पांच विश्व स्तरीय सीमेंट संयंत्र स्थापित हैं जिसके चलते बलौदा बाजार पूरे प्रदेश में सीमेंट हब के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। इन सीमेंट संयंत्रो में नियमानुसार स्थानीय बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार प्रदान करने में प्राथमिकता दिया जाना चाहिए परंतु सीमेंट संयंत्रो में कार्यरत अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी बाहरी ईलाकों के हैं जिससे स्थानीय लोगों में काफी असंतोष व्याप्त है।
बीते विधानसभा वर्ष 2013 में भी सीमेंट संयंत्रो में स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान किए जाने का मुद्दा जोर-शोर से उछाला गया था जो चुनाव के बाद शांत हो गया। बीते पांच सालों के दौरान समय समय पर विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा स्थानीय युवक-युवतियों को सीमेंट संयंत्रो में रोजगार प्रदान कराए जाने के नाम पर राजनीति तो खूब की परंतु सारी राजनीति इन्ही नेताओं के ठेके मिलते ही शांत हो गयी।
विधानसभा का दुर्भाग्य है कि सीमेंट संयंत्रो में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलाए जाने के नाम पर आज तक कभी जमीन से जुड़ा कोई आंदोलन नहीं हो सका है। स्थानीय युवक-युवती भी इस मुद्दे पर स्वयं को लगातार छला हुआ महसूस कर रहे हैं जिसके चलते इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में सीमेंट संयंत्रो में स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना प्रमुख चुनावी मुद्दा साबित होगा।
जिला निर्माण पश्चात जिला मुख्यालय बलौदा बाजार का जोर-शोर से विकास हुआ है तथा बलौदा बाजार से रायपुर, भाटापारा तथा कसडोल मार्ग का नवीन निर्माण भी हुआ है जिसका लाभ सत्ताधारी दल लेना भी चाहेगा परंतु निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार का जवाब सत्ताधारी दल के नेताओं के पास भी नहीं है।
जिला निर्माण के छह साल बाद भी नगर में हाईटेक बस स्टैण्ड का अभाव, केन्द्रीय विद्यालय, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था, बीएड महाविद्यालय, छ.ग.गृह निर्माण मण्डल कार्यालय, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री का कार्यालय, राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्यालय, आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं औषधालय, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग का कार्यालय, उद्यानिकी महाविद्यालय, सिटी बस, लटुवा मार्ग का चौड़ीकरण, बिलासपुर मार्ग का नवीन निर्माण, महिला समृद्धी बाजार एवं ट्रांसपोर्ट नगर की आज तक स्थापना नहीं हो पाई है।
नया रायपुर (अटल नगर) से खरसिया व्हाया बलौदा बाजार तक बिछने वाली रेल लाइन परियोजना अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासी के चलते अटकी पड़ी है जिससे जिलेवासियों को रेल सुविधा के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। बीते दिनों कवर्धा की कटघोरा डोंगरगढ़ व्हाया कवर्धा रेल लाइन को केन्द्रीय केबिनेट मंत्रालय से हरी झण्डी मिल गई किन्तु नया रायपुर से खरसिया व्हाया बलौदा बाजार, शिवरी नारायण, जैजैपुर लाइन को केबिनेट की स्वीकृति अभी तक अप्राप्त है।
इस परियोजना के पूरा हो जाने से जिलेवासियों के लिए व्यापार व रोजगार के नए रास्ते खुल जाते साथ ही रेल्वे ट्रेक के जरिए बलौदा बाजार राजधानी से सीधे जुड़ जाता परंतु फिर से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से क्षेत्रवासियों में काफी आक्रोश है जिससे यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान जमकर गर्माने तथा प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है।

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