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बलोदा बाज़ार

कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया नक्सलियों से संबंध होने का आरोप, झीरम घाटी हत्याकांड को बताया सुपारी किलिंग

उक्त घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी नहीं लिया गया। अत: प्रदेश सरकार अब मामले की एसआईटी के माध्यम से निष्पक्ष जांच कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि लिप्त आरोपियों की पहचान होने के साथ ही झीरम घाटी शडयंत्र से पर्दा हट सके।

बलोदा बाज़ारJun 25, 2020 / 03:52 pm

Karunakant Chaubey

बलौदा बाजार. झीरम घाटी में कांग्रेस के शीर्ष पंक्ति वाले कई वरिष्ठ नेताओं की वर्ष 2013 में नक्सली हमले में हुई शहादत को सुपारी किलिंग वाली वारदात बताते हुए बुधवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेसजनों ने भाजपा नेताओं के माओवादियों से संबंध होने का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने भाजपा पर मामले की जांच के दौरान तथ्यों को छिपाते हुए दोषियों को बचाने के विषय में सिलसिलेवार जानकारी दी।

प्रदेश प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि तात्कालीन केंद्र सरकार द्वारा एनआईए द्वारा मामले की कराई जा रही जांच के दौरान प्रदेश की भाजपा सरकार के असहयोगात्मक रवैए से जांच कार्य में बाधा आने में विलंब हुआ तथा एक वर्ष पश्चात केंद्र में भाजपा की सत्ता आने के बाद दबाव में आकर एनआईटी द्वारा जांच के नाम पर लीपापोती करने के उद्देश्य से कई नक्सलियों के नाम एफआईआर से गायब कर दिया गया। उक्त घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी नहीं लिया गया। अत: प्रदेश सरकार अब मामले की एसआईटी के माध्यम से निष्पक्ष जांच कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि लिप्त आरोपियों की पहचान होने के साथ ही झीरम घाटी शडयंत्र से पर्दा हट सके।

प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर, पूर्व विधायक जनकराम वर्मा, पार्टी जिला प्रभारी सीमा वर्मा ने भी झीरम घाटी की घटना को राजनैतिक शडयंत्र ठहराते हुए कहा कि तात्कालीन भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बस्तर यात्रा एवं रैली के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई। नेताओं के सुकमा की ओर जाने के दौरान रोड ओपनिंग पार्टी तक की व्यवस्था नहीं रखी गई थी। दस्तावेज बताते हैं कि एनआईए ने पहले नक्सलियों के दो बड़े नेता गणपति और रमैया को अभियुक्त बनाया था, लेकिन पूरक चार्जसीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्त सूची से हटा दिया गया।

जनता जानना चाहती है नरसंहार की सच्चाई

वर्ष 2016 में तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने यह स्वीकार कर लिया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच कराई जाएगी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया और 2016 से 2018 तक यह जानकारी प्रदेश सरकार द्वारा छिपाकर रखी गई थी, चूंकि झीरम घाटी की घटना में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की शहादत होने से कांग्रेसजनों के साथ प्रदेश की आम जनता भी झीरम घाटी के नरसंहार मामले की सच्चाई जानना चाहती है। प्रेसवार्ता के दौरान जिला कांग्रेस कार्यालय में मौजूद कांग्रेसजनों में पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश यदु, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रूपेश ठाकुर, पूर्व नपाध्यक्ष विक्रम पटेल, जनपद सदस्य आर्यन शुक्ला, मनोज प्रजापति सहित अन्य कांग्रेसी मौजूद थे।

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