मिली जानकारी के अनुसार अभियुक्त महेश्वर दास ने पीडि़ता को शादी प्रलोभन देकर वर्ष 2014 से शारीरिक संबध बनाता रहा। उसके बाद अचानक किसी लड़की से शादी कर ली। शादी के बाद भी आरोपी पीडि़ता को फोन करके तंग करता था और उसको कहता था कि वह अपने पत्नी को छोड़ दिया है। इस तरह आरोपी द्वारा पीडि़ता को बहला फुसला कर उसके लगातार शारीरिक संबध बनाता रहा जिसके कारण पीडि़ता गर्भवती हो गई।
18 जनवरी 2019 को पीडि़ता ने एक बच्ची को जन्म दिया। अलग जाति होने के कारण आरोपी ने पीडि़ता से शादी करने को इनकार कर दिया। उक्त संबध में पीडि़ता ने थाना कसडोल में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिस पर पुलिस के द्वारा धारा 376 भादवि व 3-2, एसटी-एससी एक्ट के तहत पंजीबद्व कर आरोपी को गिरफ्तार किया।
आरोपी के द्वारा उक्त अपराध से पूरी तरह इनकार किया गया। इस पर पुलिस ने नवजात शिशु का डीएनए टेस्ट कराया। जिसमें नवजात शिशु व आरोपी महेश्वर दास का डीएनए एक पाया गया। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाहों के न्यायालयीन कथन तथा डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का अखण्डित पाते हुए आरोपी को दोषसिद्व पाया तथा धारा 376 भादवि के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व1 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया।