स्थिति यह है आवारा कुत्तों को पकडऩे के लिए नगर पालिका की टीम नजर नहीं आती है। शहर में कुत्ते पकडऩे के लिए नगर पालिका ने एक भी गाड़ी नहीं लगा रखी है। कुत्तों की नसबंदी का प्लान भी कागजों में सीमित है। नगर पालिका प्रशासन की इस लापरवाही के कारण लोग रोज कुत्तों के शिकार हो रहे हैं।
कुत्ते काटने को दौड़ाते हैं, तो हो जाती है दुर्घटना : दीनदयाल उपाध्याय चौक पर सबसे अधिक कुत्ते रहते हैं। यहां के कुत्ते इतने खतरनाक है कि बाइक सवारों को भी काटने के लिए दौड़ जाते हैं ऐसे में कई बार बाइक सवार कुत्तों से पीछा छुड़ाने बाइक की रफ्तार तेज कर देते हैं और दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। यही स्थिति सब्जी मंडी के आसपास की है। कुत्ते वाहनों के पीछे दौड़ते हैं। लोग बचाव के चक्कर में चोटिल हो जाते हैं। इसके अलावा शहर में ऐसी कई जगहों पर आवारा कुत्तों के झुंड दिख जाते हैं।
रेबीज का इंजेक्शन नहीं : गुरुवार की शाम केवट पारा के पास एक बच्चे को कुत्ते ने काट लिया। कुत्ते के अकस्मात हमले से बचने के प्रयास में भागते समय 12 साल का कृष्णकुमार धीवर जमीन पर गिर पड़ा और कुत्ते ने पीछा करते हुए उसके कूल्हे पर अपने दांत गड़ा दिए। इस घटना के 2 दिन पहले बुधवारी बाजार के पास कुत्ते ने एक युवक रमेश साहू को उस समय काट लिया जब वह वॉकिंग करते स्टेशन चौक की तरफ जा रहा था।
रमेश साहू ने बताया कि जब वह इंजेक्शन के लिए सरकारी अस्पताल गया है तो उसे वहां इंजेक्शन नहीं मिली। तब उसने15 सो रुपए में इंजेक्शन खरीदकर प्राइवेट डॉ से लगवाया। वार्ड 16 में रहने वाला एक 8 साल का बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था तभी एक काला कुत्ता उसे काट लिया।
हालांकि बच्चे के सामने में पैरेंट्स खड़े थे इसीलिए कुत्ता हमला करने में नाकाम रहा। बावजूद बच्चे के घुटने के पीछे कुत्ते का दांत गढ़ ही गए। स्थिति यह है कि बच्चों को उनके माता-पिता बाहर खेलने नहीं दे रहे हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि कहीं कुत्ते काटकर बच्चे को घायल न कर दें। शहर की तरह गांव में भी कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। कुत्ते कहां से आ जाते हैं लोग समझ ही नहीं पाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि बड़े शहरों से कुत्तों को पकडक़र गांव के जंगलों में छोड़ दिया जाता है और उसके बाद कुत्ते गांव में आ जाते हैं और कुछ शहर की ओर चले जाते हैं। इसलिए कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।