बलोदा बाज़ार

टिड्डी दल के बड़े आक्रमण का मंडरा रहा है खतरा, खा जाते हैं अपने वजन के बराबर फसल

टिडडी दल का प्रकोप हो गया है तो सभी किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह की परंम्परागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर चलाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से भागाया जा सकता है।

बलोदा बाज़ारJun 04, 2020 / 02:04 pm

Karunakant Chaubey

टिड्डी दल के बड़े आक्रमण का मंडरा रहा है खतरा, खा जाते हैं अपने वजन के बराबर फसल

भाटापारा. देश के कई राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल का आक्रमण छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी हो सकता है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र नें छत्तीसगढ़ राज्य को पहले से ही सतर्क कर दिया है। दाऊ कल्याण सिंह कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र भाटापारा के अधिष्ठाता डॉ. राजेंद्र लाकपाले के अनुसार इन टिड्डी दलों के आक्रमण से खेतों को भारी तबाही का सामना करना पड़ सकता है।

अपने वजन के बराबर फसल खा जाते हैं

टिड्डी दलों में करोड़ों की संख्या में कीड़े एक साथ खेतों और खड़ी हुई फ़सलों पर हमला करते हैं और उनको खाने के बाद उसमें बहुत आसानी से छिप जाते हैं। इन दलों में एक दिन में एक कीड़ा अपने वजऩ के बराबर फ़सल खा जाता है जो करीब 2 ग्राम होता है लेकिन आम तौर पर एक टिड्डी दल के सिर्फ़ एक छोटे से हिस्से के कीड़े एक दिन में उतनी ही खाद्य सामग्री खा जाते हैं जितनी की 2500 मनुष्य खा सकते हैं। डॉ लोकपाले ने बताया इन कीड़ों की उम्र ज़्यादा नहीं होती, आमतौर पर यह तीन से पांच महीने ही जी पाते हैं।

मूंग व धान की फसलों पर खतरा

 

संख्या में ज़्यादा में होने के कारण खेती और हरियाली की व्यापक पैमाने पर तबाही होती है। टिड्डी दल से फसलों के बचाव के लिए किसानों से सतर्क रहने का आग्रह कृषि विज्ञान केंद्र भाटापारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अंगद सिंह राजपूत ने किया है अभी अधिकांश जिले में ग्रीष्मकालीन धान, मूंग व मौसमी सब्जियों की फसल लगी हुई है ऐसे में जिले के किसान टिड्डी दल से सतर्क रहें। अपने खेतों की लगातार निगरानी रखें।

पांच सौ से 1500 अंडे देती है मादा

 

कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ तकनीकि अधिकारी सागर पाण्डे ने बताया कि टिड्डी दल रात्रि के समय खेतों में रुककर फसलों को नुकसान पहुंचाता है। बताया गया कि जमीन पर लगभग 500 से 1500 अंडे प्रति मादा कीट देकर सुबह उड़कर के दूसरी जगह चली जाती है। समूह में लाखों की संख्या में टिड्डीयां होती है, ये जहां भी पेड़ पौधे या अन्य वनस्पति दिखाई देती है उसको खाकर आगे बड़ जाते हैं। टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए सभी किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने-अपने गांव में समूह बनाकर खेतो में रात के समय निगरानी करें,

कृषि विज्ञान केंद्र नें किसानों को दी यह सलाह

 

किसान सतत् निगरानी रखेंयह कीट किसी भी समय खेतों पर आक्रमण कर क्षति पहुंचा सकता है। शाम 7 बजे से 9 बजे के मध्य यह दल रात्रिकालीन विश्राम के लिए कही भी बैठ सकते हैं। इसकी पहचान एवं जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल बनाकर सतत निगरानी रखें।

जैसे ही किसी गांव में टिड्डी दल के आक्रमण एवं पहचान की जानकारी मितलती है तो तत्काल स्थानीय प्रशासन कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर जानकारी दें। टिड्डी दल आकाश में दिखे तो उसको उतरने से रोकने के लिए धुआं करें इससे टिड्डी दल खेत में नहीं बैठेगा । यदि टिडडी दल का प्रकोप हो गया है तो सभी किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह की परंम्परागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर चलाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से भागाया जा सकता है।

यदि शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है तो टिड्डी की विश्राम अवस्था में सुबह 3 बजे से 5 बजे के बीच में तुरंत कीटनाशी दवाएं, ट्रैक्टर चलित स्प्रे पम्ंप, क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 200 मिली, या लेम्डासाईलोयिन 5 ईसी 400 मिली या डाईफ्लूबेन्जूसन 25, 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। रासायनिक कीटनाशी पाउडर फेनबिलरेड 0.4 प्रतिशत 20.25 किग्रा या क्यूनालफास 5 प्रतिशत 25 किग्रा, प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें।

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