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बस्ते के बोझ से विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जिया

locationबलोदा बाज़ारPublished: Aug 09, 2019 03:34:08 pm

Submitted by:

Bhawna Chaudhary

छोटे-छोटे बच्चे भारी-भरकम बस्ता लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। जिससे स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।

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बस्ते के बोझ से विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जिया

बलौदा बाजार. शालेय बच्चों (School student) का वजन कितना होना चाहिए, जिससे उन बस्तों को उठाने में नौनिहालों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट नियम बनाए हैं। इसका व्यापक प्रचार- प्रसार भी किया गया है। बावजूद इसके जिले के ज्यादातर निजी शालाओं में इन नियमों की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते छोटे-छोटे बच्चे भारी-भरकम बस्ता लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। जिससे स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।

बस्तों के लिए क्या नियम हैं : मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बस्तों के वजन को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन है। पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के बैग का वजन अधिकतम डेढ़ किग्रा, तीसरी से पांचवी तक की कक्षा के बच्चों के बैग का वजन अधिकतम दो से तीन किग्रा, छठवीं.सातवीं कक्षा के बच्चों के बैग का वजन अधिकतम चार किग्रा, आठवीं-नौंवी कक्षा के बच्चों के बैग का वजन अधिकतम 4.5 किग्रा और दसवीं कक्षा के बच्चों के बैग का वजन पांच किग्रा तय किया गया है। परंतु वर्तमान समय में स्कूली बच्चे निर्धारित वजन से दो गुने से अधिक वजन के बस्तों को लेकर स्कूल जा रहे हैं।

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