इस टंकी का पानी मरीज और उनके परिजन रोजाना पीते हैं। अस्पताल की इस हालत को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है। वहीं, जिम्मेदारों की लापरवाही की पोल खुल गई है। सरकारी अस्पताल में साफ -सफाई की कमी के कारण मरीजों को इलाज कराना भारी पड़ सकता है।अस्पताल की टंकियों की लंबे समय से साफ नहीं हुई है। इनमें काई की मोटी परतें जमा हो गई हैं और पानी बदबूदार हो चुका है, जिसमें कीड़े तैरते नजर आ रहे हैं।
आमतौर पर सरकारी अस्पताल के मुखिया सुविधाओं की कमी का रोना रोते हैं, लेकिन सुविधा देने के बाद उनको मेंटेन भी रखना होता है। सरकारी अस्पताल ऐसा भी नहीं कर रहे हैं। अस्पताल प्रबंधकों की ओर से इनकी सफाई तक नहीं कराई जाती। नगर की कई सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं की ओर से अस्पताल में वाटर कूलर लगवाए गए हैं, लेकिन उन पर रखी टंकियां देखरेख के अभाव में गंदी हो चुकी हैं तथा उनमें जीव भी मरे पड़े हैं।
हर पखवाड़े करनी होती है सफाई
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर पखवाड़े पानी की टंकी की सफाई अनिवार्य है। जिसके लिए बाकायदा रजिस्टर भी लगाया जाता है कि किस तिथि को साफ-सफाई की गई। जब भी कोई अधिकारी अस्पताल की जांच के लिए आता है तो उस रजिस्टर की जांच की जाती है।
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर पखवाड़े पानी की टंकी की सफाई अनिवार्य है। जिसके लिए बाकायदा रजिस्टर भी लगाया जाता है कि किस तिथि को साफ-सफाई की गई। जब भी कोई अधिकारी अस्पताल की जांच के लिए आता है तो उस रजिस्टर की जांच की जाती है।
पानी टंकी को क भी साफ ही नहीं किया
पत्रिका टीम ने जब छत पर लगी टंकियों को जाकर देखा, तो होश ही उड़ गए। पीने के पानी की टंकी में मरी छिपकली थी, तो वहीं अन्य टंकी में गंदगी की परत पानी में तैर रही थी। जिस टंकी से पीने के पानी की सप्लाई होती है, उसे कभी साफ नहीं किया गया है। सूक्ष्म जीवाणु पानी में तैरते नजर आए। सभी टंकियों के ढक्कन गायब हैं।
पत्रिका टीम ने जब छत पर लगी टंकियों को जाकर देखा, तो होश ही उड़ गए। पीने के पानी की टंकी में मरी छिपकली थी, तो वहीं अन्य टंकी में गंदगी की परत पानी में तैर रही थी। जिस टंकी से पीने के पानी की सप्लाई होती है, उसे कभी साफ नहीं किया गया है। सूक्ष्म जीवाणु पानी में तैरते नजर आए। सभी टंकियों के ढक्कन गायब हैं।