ये है नया नियम
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के आदेश के बाद ऐसे रेस्टोरेंट्स और होटल या ढाबे जो प्रतिदिन 50 लीटर खाद्य तेल का उपयोग करते हैं उन्हें खरीदी करने वाले संस्थान का नाम, पता, मात्रा का लिखित विवरण रखना होगा। कितनी मात्रा उपयोग में लाई गई, कितना शेष बचा इसका पूरा हिसाब रखना होगा ताकि विपरीत परिस्थितियों में जवाबदेही तय की जा सके।
इसलिए प्रतिबंध
खाद्य तेल का एक बार उपयोग किए जाने से इस में ट्रांसफैट की मात्रा कम होती जाती है। वैसे इसका कोई नुकसान नहीं है, लेकिन बार-बार के उपयोग से यह मात्रा कम होने के बाद स्लो पॉयजन बनती जाती है। मात्रा कम होने से यह घातक हो जाता है। दरअसल ट्रांस फैट को खाद्य तेलों में इसलिए डाला जाता है क्योंकि इसमें तेल को ठोस करने की क्षमता होती है। इस वजह से खाद्य तेल की सेल्फ लाइफ बढ़ जाती है लेकिन बार-बार के उपयोग से ट्रांसफैट की मात्रा का कम होने से हॉर्ट पर सीधा असर डालता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
ट्रांस फैट की वजह से दिल की बीमारी से हर बरस विश्व में 5 लाख लोगों की मौत होती है। इसमें अकेले 60 हजार मौतें भारत में ही होती है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2022 तक विश्व को ट्रांस फैट मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। संगठन ने यह करने से पहले बताया है कि ट्रांसफैट के निर्माण में हाइड्रोजन की मदद ली जाती है ताकि वनस्पति तेल को ठोस किया जा सके और खाद्य तेलों की सेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सके। इस तरह के खाद्य तेलों के बार-बार उपयोग करने वाली इकाइयों में बनाने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करने से कार्डियो वैस्कुलर व अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता जाता है।
इस काम में बार-बार उपयोग
प्राधिकरण ने जो सर्वेक्षण किया था उसमें यह पाया गया है कि हॉटल रेस्टोरेंट से खाद्य तेल का उपयोग कई प्रकार की खाद्य सामग्री को तलने में बार-बार उपयोग किया जाता है। इसके अलावा बेकरी प्रोडक्ट बनाने वाली इकाइयां भी बेकरी आइटम निर्माण के दौरान ऐसा करती हैं। अब इस काम में ऐसा नहीं होगा।
उमेश वर्मा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी बलौदाबाजार