पंचायत सचिव रसूल खान ने बताया कि बीच-बीच में ध्यान देते रहेंगे। सचिव ने यह भी बताया कि जो बुजुर्ग महिला का देवर और नाती जो उसका पैसा और राशन खा जाते थे, वह कहीं भाग गए हैं। हम लोगों ने महिला को शौचालय से निकालकर उसे उसके सही जगह परिवार के देखरेख में रखे हैं।
उल्लेखनीय है कि 27 जुलाई को पत्रिका में ‘पांच माह से शौचालय में रहने को मजबूर है बुजुर्ग कमार महिला’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद पंचायत हरकत में आया। पिछले पांच माह से 80 साल की बुजुर्ग महिला स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालय में रहने को मजबूर थी।
इस ओर न तो ग्राम पंचायत, जिला प्रशासन और न ही समाज ने ध्यान दिया था। जबकि जिले में कमार भुजिया जनजाति के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित है, जो धरातल पर कम नजर आता है। जिले में इन जनजातियों के लोग अशिक्षित हैं वहीं उन्हें उनकी योजनाओं की जानकारी नहीं है, जिसका फायदा कोई और उठा रहा है।