scriptजवान 2 बेटों ने ठुकरा दिया तो Jungle के बीच खोदे गए गड्ढे में रहने लगी ‘बूढ़ी मां’ | Balrampur : 2 young sons turned down then old mother lived in the middle of the forest pits | Patrika News

जवान 2 बेटों ने ठुकरा दिया तो Jungle के बीच खोदे गए गड्ढे में रहने लगी ‘बूढ़ी मां’

locationबलरामपुरPublished: Dec 02, 2016 09:12:00 pm

Submitted by:

Pranayraj rana

75 वर्षीय वृद्धा के 2 बेटों को उसकी सुध लेने की फुर्सत तक नहीं, बेटों से ठुकराए जाने के बाद मांग-खाकर करती है अपना गुजर-बसर

old woman in pit

old woman in pit

वाड्रफनगर. गांव में ही दर-दर मांग कर अपना गुजर-बसर करने वाली 75 साल की वृद्ध महिला जंगली रास्ते में भटकने के बाद दो माह से वापस घर ही नहीं जा पाई है। उसने जंगल में सीपीटी गड्ढे को अपना आशियाना बना लिया है। उसके दो पुत्र भी हैं लेकिन इन दो माह में किसी ने भी उसकी अभी तक सुध तक नहीं ली है। मां कहां लापता हुई, इससे बेटों को मतलब ही नहीं है।

ये घोर कलयुग ही तो है कि जब वृृद्धावस्था में जिन बेटों को मां का सहारा बनना चाहिए। उन्होंने उसक घर से ही निकाल दिया तभी तो वृद्धा के सामने घर-घर से मांगकर अपना पेट भरने की नौबत आ गई और वो आज उस जंगल में रह रही है, जहां भालूओं की संख्या सबसे अधिक है। इधर वृद्धा को अभी भी आस है कि उसके बच्चे यहां से ले जाएंगे।
old mother


्रग्राम पंचायत कोटराही के आश्रित ग्राम बभनीपारा के जंगल के समीप खोदे गए सीपीटी गड्ढे में विगत दो माह से रह रही 75 वर्षीय सुंदरी बाई पति रामवृक्ष राम पंडो खुद को रमकोला थाना अंतर्गत ग्राम बोंगा की रहने वाली बता रही है। इसके दो पुत्र हैं फिर भी वृद्धा गांव में घर-घर भीख मांगकर अपना पेट पालती है।

जिन बेटों को पालन पोषण कर उसने बड़ा किया और जब बुढ़ापे में उनके मदद की जरूरत पड़ी तो वे कपूत बन गए। बुढ़ापे का सहारा बनने की बात तो दूर उन्होंने वृद्धा को घर से ही भूखों मरने के लिए निकाल दिया। मजबूर होकर पेट भरने के लिए वृद्धा गांव में ही घर-घर मांगने लगी।

भीख मांगने के दौरान ही दो माह पूर्व वृद्धा जंगली रास्ते में भटकते हुए बभनीपारा के जंगल में आ पहुंची और फिर वापस नहीं जा पाई। अब इन दो महीनों से वृद्धा जंगल में ही भटकते हुए वन विभाग द्वारा खोदे गए सीपीटी गड्ढे में काफी मुश्किलों के बीच रह रही है।

जानवरों के बीच रहकर भी है जिंदा
ये ऊपर वाले की ही कृपा है कि अभी तक वो जंगली जानवरों से बची हुई है। वृद्धा के सीपीटी गड्ढे में रहने की सूचना ग्रामीणों द्वारा पुलिस व पंचायत के सरपंच को भी दी गई है। फिर भी अभी तक इस वृद्धा को जंगल से घर पहुंचाने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। अब बेबसी के आंसुओं के साथ सुंंदरी बाई को उन कलयुगी बेटों से अभी भी आस है कि वे आकर उसे साथ ले जाएंगे।
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