script13 दिन बाद सुपरवाइजर व 2 सुरक्षाकर्मियों को माओवादियों ने किया रिहा, इसलिए किया था अपहरण | Maoists: Maoists released Supervisor and 2 security after 13 days | Patrika News

13 दिन बाद सुपरवाइजर व 2 सुरक्षाकर्मियों को माओवादियों ने किया रिहा, इसलिए किया था अपहरण

locationबलरामपुरPublished: Dec 11, 2020 09:33:21 pm

Maoists: गुरुवार की देर रात 2 बजे अपने-अपने घर पहुंचे, माओवादियों (Naxlites) ने तीनों को बूढ़ापहाड़ में रखा था, हिंडालको कंपनी (Hindalco Company) के डूमरखोली माइंस में कार्यरत था सुपरवाइजर जबकि कुकुद कांटाघर में तैनात थे दोनों सुरक्षाकर्मी (Security)

13 दिन बाद सुपरवाइजर व 2 सुरक्षाकर्मियों को माओवादियों ने किया रिहा, इसलिए किया था अपहरण

Security guard with his family

कुसमी. माओवादियों (Maoists) द्वारा करीब 13 दिनों तक अपहरण कर बंधक बनाकर रखे गए हिंडालको कंपनी के डूमर खोली माइंस में कार्यरत सुपरवाइजर एवं झारखण्ड सीमा के कुकुद कांटा घर के दो सुरक्षाकर्मियों को गुरुवार की शाम रिहा (Release) कर दिया गया। तीनों कर्मचारी किसी तरह से पैदल चलते हुए गुरुवार की रात 2 बजे तक अपने-अपने घर पहुंच गए। सभी के सकुशल वापस घर पहुंचने पर उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है।
13 दिनों तक बंधक रहे कर्मचारियों ने शुक्रवार को बताया कि माओवादियों ने उनसे कहा कि हिंडालको कंपनी हमसे संपर्क नहीं कर रही और काम जारी रखा है, तुम सभी कंपनी के खास हो, बाद में छोड़ देंगे।
उन्होंने कहा कि उन्हें जंगल मे किसी प्रकार से प्रताडि़त करने का प्रयास नही किया। ज्यादातर माओवादी इनसे दूरी बना निगरानी करते थे। रिहा होकर घर वापस घर पहुंचे कर्मचारी अभी भी काफी घबराए और डरे-सहमे से हैं।

कर्मचारियों ने बताया कि करीब 13 दिनों तक उन्हें माओवादियों ने जंगल के बीच में बने खाई में पेड़ के नीचे रखा था। यहां पर उन्हें समय पर भोजन-नाश्ता सहित दूध भी दिया जा रहा था। यहां से कुछ मीटर की दूरी पर शौच के लिए गड्ढा खोद कर लकडिय़ों से पाट कर स्थाई शौचालय बनाया गया था।
इसके साथ ही वहां स्थित एक जल स्त्रोत के पानी से हम लोग स्नान करते थे। बंधकों ने बताया कि जिस स्थान पर हमें रखा गया था, यहां पर दोपहर को ही सूर्य के दर्शन एक-दो घण्टे के लिए होते थे।
हम लोगों को कहा रखा गया था यह नहीं पता लेकिन अनुमान है कि पुंदाग से लगे झारखंड सरहद के माओवादियों के बेस कैंप एवं सुरक्षित स्थान बूढ़ा पहाड़ में रखा गया होगा।

13 दिन बाद सुपरवाइजर व 2 सुरक्षाकर्मियों को माओवादियों ने किया रिहा, इसलिए किया था अपहरण
ये था पूरा मामला
28 नवंबर को झारखंड सीमा (Jharkhand border) से लगे माओवाद प्रभावित क्षेत्र सामरी थाना के अंतर्गत 12 दिन पूर्व करीब 20 की संख्या में सशस्त्र माओवादी ग्राम सरईडीह राजेंद्रपुर बाक्साइट माइंस के सुपरवाइजर रामधनी यादव को उसके घर से उठाकर ले गए थे।
ग्राम जलजली के दो सगे भाई मनोज व शिवबालक को बेदम पिटाई कर अधमरा छोड़ कर चले गए थे। साथ ही हिंडालको के कुकुद बाक्साइट माइन्स के कांटा घर के सुरक्षा में लगे 2 सुरक्षाकर्मी सूरज सोनी व संजय यादव को भी अगवा कर ले गए थे।

भागने की कोशिश पर गोली मारने की दी थी धमकी
कर्मचारियों ने बताया कि माओवादियों ने हमें पहले दिन ही बता दिया था कि भागने की कोशिश मत करना, चारों तरफ प्रेशर बम लगा हुआ है, इसलिए भागने की कोशिश की तो गोली मार देंगे। तुम लोगों को हम कुछ नहीं करेंगे, बाद में हम रिहा कर देंगे।
उन्होंने बताया कि 24 घण्टे माओवादियों द्वारा हमारी निगरानी की जाती थी, यहां तक कि शौच के समय भी चारों तरफ सशस्त्र माओवादी रहते थे। सभी आधुनिक हथियार (Weapons) से लैस रहते थे। पहचान छिपाने के लिए मास्क का प्रयोग कर रहे थे।
जब माओवादी हमें अगवा कर अपने साथ ले जा रहे थे तो हमने कहा कि हमारा क्या कसूर हैं तो माओवादियों ने बताया कि बाक्साइट कंपनी बहुत दिनों से हम लोगों से संपर्क नहीं कर रही है, बिना बात किए काम कर रही है, कई बार खबर कर चुके हैं इसके बावजूद काम चालू हैं। तुम लोग कंपनी के खास आदमी हो इसलिए तुम लोगों को बंधक बना रहे हैं, कुछ समय के बाद तीनों को छोड़ देंगे।

दोपहर में मिली रिहा होने की खबर
कर्मचारियों ने बताया कि माओवादियों ने जब कहा कि आज शाम को तुम लोगों को रिहा कर देंगे, यह सुनकर हमारी कुछ जान में जान आई। गुरुवार की शाम करीब 4 बजे पहले माओवादियों ने संजय यादव को वहां से रिहा किया। वहीं शाम के करीब 6 बजे सूरज सोनी और रामधनी यादव को रिहा कर करने की बात कहते हुए कहा गया कि इस रास्ता से जाओ आगे हमारे दो आदमी मिलेंगे वो आगे तक पहुंचा देंगे।
यहां से कर्मचारी आगे गए तो उन्हें दो व्यक्ति मिले जो उन्हें पहाड़ी रास्ता से रात के अंधेरे में सबाग के बगल के गांव गदामी के पास छोड़ कर बोले अब तुम लोग इसी रास्ते से आगे निकल जाओ। तब दोनो कर्मचारी पैदल ही रात के अंधेरे में अपने-अपने घर रात करीब 2 बजे तक पहुंचे।

इस दस्ते के होने की संभावना
कर्मचारियों ने बताया कि हम लोगों को बंधक (Mortgage) बनाने की वारदात में स्टेट कमेटी के हार्डकोर माओवादी विमल के साथ अमन और मनीष के दस्ता शामिल था। यह बात खुद माओवादियों ने हम तीनों को बताई थी कि यह हमारा ही दस्ता है।
कर्मचारियों ने बताया कि घटना दिवस को माओवादी (Maoists) उन्हें अपहृत कर मुख्य मार्ग से ले गए थे। कर्मचारियों ने बताया कि रात में सोने के समय माओवादी (Naxalites) ओढऩे के लिए पर्याप्त कंबल देते थे, साथ ही रात में अलाव भी जला देते थे।
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