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ये गरीबी है साहब! न तो बच्चों के तन ढकने कपड़े और न ही मिलता है पूरा चावल, राशन के लिए मुर्गा की डिमांड

locationबलरामपुरPublished: Aug 24, 2020 02:38:36 pm

Poverty: ग्राम सिलाजु के गरीब परिवारों की दास्तां, किसी को राशन ही नहीं मिल रहा तो कोई 10 से 15 किलो कम पा रहा चावल

ये गरीबी है साहब! न तो बच्चों के तन ढकने कपड़े और न ही मिलता है पूरा चावल, राशन के लिए मुर्गा की डिमांड

Poor family

रामानुजगंज. किसी भी गरीब परिवार (Poverty) की बस इतनी ही प्राथमिकता रहती है कि कम से दो वक्त का भरपेट भोजन तो मिल जाए, भले ही पूरा तन ढकने के लिए कपड़े न हो, बस इसी से वे टूटे-फूटे घर में भी अपना गुजर-बसर कर लेते हैं। लेकिन दो वक्त के भोजन में भी डाका पड़ जाए तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।
बलरामपुर जिले के ग्राम सिलाजु के अधिकांश गरीब परिवार कुछ ऐसी ही पीड़ा झेल रहे हैं। उनके राशन में कई महीनों से डाका डाला जा रहा है, दो वक्त का भोजन भी भरपेट नहीं कर पा रहे हैं, गरीब होना इनके लिए अभिशाप बन गया है।
पत्रिका से चर्चा में ग्राम सिलाजु के हरिहर राम ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि साहब लॉकडाउन के पहले मध्य प्रदेश के सिंगरौली में काम करता था, चार माह पूर्व अपने घर वापस आ गया यहां कोई काम भी नहीं है। वहीं विगत 11 महीने से राशन दुकानदार द्वारा नाम कट गया है बताकर राशन भी नहीं दिया जा रहा है।
अब तो भूखों मरने की नौबत आ गई है। हरिहर ही नहीं यहां अन्य कई ऐसे गरीब परिवार हैं, जिनके बच्चों के तन पर कपड़े तक नहीं हैं।

कोरोना संक्रमण काल की इस विपरीत स्थिति में सरकार जहां हर एक को राशन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं यहा गांव के कई गरीब परिवार ऐसे हैं जिन्हें महीनों से राशन नहीं मिल रहा है इनके पास इतना भी सामथ्र्य नहीं है कि अपनी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचा सकें। (Poverty)

रामचंद्रपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत सिलाजु के राशन दुकानदार की मनमानी के आगे गरीब अशिक्षित राशन कार्डधारी बेबस एवं लाचार हैं। उनकी लाचारी और बेबसी ऐसी है कि वे अपनी बात कहां और किससे कहें, यह भी नहीं जानते। जब पत्रिका के प्रतिनिधि गांव में राशन वितरण का हाल जानने पहुंचे तो गांव वालों की भीड़ लग गई। सभी राशन दुकानदार की मनमानी, दबंगई की दासतां सुनाने लगे।
ये गरीबी है साहब! न तो बच्चों के तन ढकने कपड़े और न ही मिलता है पूरा चावल, राशन के लिए मुर्गा की डिमांड
कई ऐसे गरीब परिवार भी सामने आए जिन्होंने बताया कि हम लोगों को राशन पहले मिलता था। लेकिन राशन दुकानदार द्वारा कई महीनों से राशन नहीं दिया जा रहा है एवं कहा जाता है कि आपका नाम राशन कार्ड से कट गया है। यही नहीं गांव में कमला, उर्मिला, ललिता सहित दर्जनों लोगों की भीड़ लग गई जिन्होंने बताया कि हम लोगों के राशन कार्ड में राशन की मात्रा चढ़ाई कुछ और, दिया कुछ और गया।
सभी ने बताया कि सभी को 10 से 15 किलो कम चावल दिया गया, जब एक दो लोगों ने राशन दुकानदार से कम चावल दिए जाने की बात पूछने की हिम्मत जुटाई तो उसने धमकी देकर भगा दिया गया। जिससे गांव वाले डरे सहमे हैं कि कहीं राशन दुकानदार हम लोगों का राशन कार्ड अन्य लोगों के समान कटवा मत दे।

गर्भवती को भी नहीं मिल रहा है राशन
गर्भवती महिला मानमती देवी ने बताया कि मेरे पति गोपाल हैदराबाद कमाने गए हैं। वह अपने दो बच्चों के साथ गांव में रहती है विगत कई महीनों से उसे राशन नहीं मिल रहा है जिससे उसके सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है।

चंदा के नाम पर काट रहे गरीबों का पेट
ग्रामीणों ने बताया कि विगत कई वर्षों से गांव में एक मंदिर बन रहा है जिसके लिए जबरदस्ती राशन दुकानदार द्वारा हम लोग से प्रत्येक राशन कार्ड पर 500 रुपए लिया गया है। हम लोगों की हैसियत नहीं हैै कि हम लोग चंदा दे सकें परंतु राशन दुकानदार के दबंगई के आगे बेबस हैं। (Poverty)

मुर्गा लेकर दिया राशन
बीपीएल राशन कार्ड धारी उर्मिला ने बताया कि 9 महीने दुकानदार के द्वारा मुझे राशन नहीं दिया जा रहा था। घूस में मुर्गा देने के बाद दुकानदार द्वारा राशन देना चालू किया गया। दुकानदार की इस हरकत से ग्रामीण काफी परेशान हैं।

बेबसी-लाचारी देख आ जाएंगे आंसू
यहां जिस प्रकार से राशन दुकानदार द्वारा गरीबों के राशन पर डाका डाला जा रहा है। जब आप उन गरीब परिवारों की दास्तां सुनेंगे जिन्हें राशन नहीं मिल रहा है चाहे जिन्हें राशन देने में परेशान किया जाता है तो आपकी आंखों में आंसू जरूर आ जाएंगे।

जागरूक युवाओं की पहल से खुलासा
गांव के पढ़े लिखे जागरुक युवाओं ने जब गांव के गरीब जनों की बेबसी लाचारी देखी तो इसकी शिकायत जहां एसडीएम से कराई, वहीं मीडिया को भी इसकी जानकारी दी। इसके बाद राशन दुकानदार के दबंगई एवं मनमानी का खुलासा हो सका।
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