कोरोना वायरस पर शोध और ग्रामीण अंचल के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर शोध कार्य करने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के गोरखपुर ईकाई के वैज्ञानिकों की टीम यूपी के बलरामपुर पहुंचीं। बलरामपुर जिला प्रदेश के उन तीन जिलों में से एक है, जिसे इस शोध कार्य के लिए चुना गया है। दो वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यहां पहुंची 27 लोगों की टीम ने जिले में 400 लोगों के ब्लड सैम्पल लिये। एक कलस्टर यानि एक गांव में 40 लोगों के सैम्पल इस तरह लिये गये जिससे गांव के सभी मजरों के लोग उसमें शामिल हो सकें। अमरहवा गांव में ब्लड सैम्पलिंग के दौरान मेडिकल अफसर डा. रमेश चंद्र पाण्डेय, डब्लूएचओ के माॅनिटर हरीश दत्त द्विवेदी, अभिषेक व चंद्रशेखर सिंह लैब टेक्निशियन, लैब असिस्टेंट बृजेश श्रीवास्तव, एलटी योगेश प्रताप सिंह व एसटीएस संदीप यादव आदि मौजूद रहे।
-कोरोना संक्रमण और रोग प्रतिरोधक क्षमता के स्तर का होगा ज्ञान
क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. गौरव राज द्विवेदी ने बताया कि ब्लड सैम्पल लेने के बाद इसे एनआईबी गोरखपुर व मुख्यालय चेन्नई भेजकर ब्लड सैम्पल की जांच कराई जाएगी। जिससे ये पता चल सके कि कोरोना वायरस का संक्रमण समुदाय में हुआ है या नहीं। इससे ये भी पता चल सकेगा कि ग्रामीण अंचल के लोगों में कितने प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता है और इसका मुकाबला कोरोना वायरस के संक्रमण से कैसे होगा। आईसीएमआर ने देश में शोध के लिए दो तरह के स्थानों का चयन किया है पहला हाॅट स्पाॅट एरिया और दूसरा ग्रामीण अंचल। जहां के 60 जिलों से 24 हजार लोगों के ब्लड का सैम्पल जांच व शोध के लिए लिया जाना है।
क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. गौरव राज द्विवेदी ने बताया कि ब्लड सैम्पल लेने के बाद इसे एनआईबी गोरखपुर व मुख्यालय चेन्नई भेजकर ब्लड सैम्पल की जांच कराई जाएगी। जिससे ये पता चल सके कि कोरोना वायरस का संक्रमण समुदाय में हुआ है या नहीं। इससे ये भी पता चल सकेगा कि ग्रामीण अंचल के लोगों में कितने प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता है और इसका मुकाबला कोरोना वायरस के संक्रमण से कैसे होगा। आईसीएमआर ने देश में शोध के लिए दो तरह के स्थानों का चयन किया है पहला हाॅट स्पाॅट एरिया और दूसरा ग्रामीण अंचल। जहां के 60 जिलों से 24 हजार लोगों के ब्लड का सैम्पल जांच व शोध के लिए लिया जाना है।
शोध से बदल सकती है सरकार की योजना-
क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डा. राजीव सिंह ने बताया कि पूरी कवायद का परिणाम ये निकलना है कि अभी तक देश में ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर ही लोगों की जांच कर पता लगाया जा रहा है कि वे कोरोना पाॅजिटिव है या निगेटिव। आशंका जताई जा रही है कि ये वायरस समुदाय में फैल गया हो। यदि ऐसा होगा तो सरकार को बड़े पैमाने पर गांव गांव जाकर लोगों की सैम्पलिंग करानी होगी। इस शोध के रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र और राज्य सरकारें कोरोना जांच को लेकर अपनी योजना में बदलाव ला सकती हैं।
क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डा. राजीव सिंह ने बताया कि पूरी कवायद का परिणाम ये निकलना है कि अभी तक देश में ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर ही लोगों की जांच कर पता लगाया जा रहा है कि वे कोरोना पाॅजिटिव है या निगेटिव। आशंका जताई जा रही है कि ये वायरस समुदाय में फैल गया हो। यदि ऐसा होगा तो सरकार को बड़े पैमाने पर गांव गांव जाकर लोगों की सैम्पलिंग करानी होगी। इस शोध के रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र और राज्य सरकारें कोरोना जांच को लेकर अपनी योजना में बदलाव ला सकती हैं।
-10 गांवों में 400 लोगों के लिए ब्लड सैम्पल
कोरोना वायरस के नोडल व एसीएमओ डा. ए.के. सिंघल ने बताया जिले में टीम ने बलरामपुर तहसील के भुसैलिया व अमरहवा, तुलसीपुर तहसील के लालनगर, विश्रामपुर, गुलरिहा अहिरौली, सकरी कुईया, उतरौला तहसील के फत्तेपुर, ईटईरामपुर, खैरिका मासूमपुर व नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नं 18 सहित 10 स्थानों में 40 व्यक्तियों के हिसाब से शोध के लिए 400 लोगों का ब्लड का सैम्पल लिया। इस सैम्पल से पता चल सकेगा कि समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ है या नहीं। शोध कार्य की जांच रिपोर्ट भारत सरकार को सौपी जाएगी। उन्होने बताया कोरोना वायरस से हमारी लड़ाई लम्बी चलने वाली है और रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि भारत सरकार की अगली रणनीति क्या होगी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का ये शोध कोरोना वायरस के संक्रमण की दशा और दिशा बदलने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
कोरोना वायरस के नोडल व एसीएमओ डा. ए.के. सिंघल ने बताया जिले में टीम ने बलरामपुर तहसील के भुसैलिया व अमरहवा, तुलसीपुर तहसील के लालनगर, विश्रामपुर, गुलरिहा अहिरौली, सकरी कुईया, उतरौला तहसील के फत्तेपुर, ईटईरामपुर, खैरिका मासूमपुर व नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नं 18 सहित 10 स्थानों में 40 व्यक्तियों के हिसाब से शोध के लिए 400 लोगों का ब्लड का सैम्पल लिया। इस सैम्पल से पता चल सकेगा कि समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ है या नहीं। शोध कार्य की जांच रिपोर्ट भारत सरकार को सौपी जाएगी। उन्होने बताया कोरोना वायरस से हमारी लड़ाई लम्बी चलने वाली है और रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि भारत सरकार की अगली रणनीति क्या होगी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का ये शोध कोरोना वायरस के संक्रमण की दशा और दिशा बदलने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।