बलरामपुर पुलिस अपनी नाकामियों को लेकर सदमे में है! लगातार तीन दिनों से जिले के एसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है लेकिन न तो फोन उनके द्वारा उठाया जा रहा है और न ही कॉल बैक किया जा रहा। बलरामपुर पुलिस को आतंकी यूसुफ के बारे में जानकारी न होने का मलाल है। कभी अपने गुड़वर्क को वीडियो और बाईट सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित करने वाली बलरामपुर पुलिस अपने नाकामियों की वजह से मुंह छुपाए बैठी है।
दिल्ली के स्पेशल टीम ने जिस आतंकी अबु युसूफ उर्फ़ मुस्तकीम को गिरफ्तार किया है वह दो साल से आतंक फ़ैलाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन बलरामपुर की पुलिस और ख़ुफ़िया तंत्र को इसकी भंनक तक नहीं लगी। मुस्तकीम ने उतरौला में रहकर ही धमाका करने का सामान जुटाया। उसके घर से भी दिल्ली से आई स्पेशल टीम ने भारी मात्रा में विस्फोटक और फियादीन हमले में प्रयोग की जाने वाली जैकट बरामद की। बताया जा रहा है की मुस्तकीम के तार सीमा पार बैठे आतंकी आकाओं तक जुड़े थे। इतनी बड़ी साजिश बलरामपुर पुलिस के नाक के नीचे होती रही लेकिन यहाँ की पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसिया सोती रही। अगर आईबी की टीम उस पर नजर न रख रही होती और वह गिरफ्तार न होता देश में आतंक की नई पटकथा लिखी जाती।
भारत नेपाल सीमा पर बसा बलरामपुर जिला आतंकियों के लिए सुरक्षित जोन माना जाता है। कई बड़े अपराध में बलरामपुर जिले का नाम जुड़ चूका है। वर्षो पूर्व बलरामपुर के युवक ने पाकिस्तानी नागरिकता भी ली थी जिसके बाद काफी हंगामा खड़ा हुआ था। संवेदनशील जिला होने बावजूद यहाँ की पुलिस और खुफिया एजेंसियों का तंत्र पूरी तरह फेल है। जिले से ही इतनी बड़ी आतंकी साजिश रची गई लेकिन यहां न तो पुलिस न ही अन्य किसी ख़ुफ़िया एजेंसी को भनक लगी।
आतंकी मुस्तकीम उर्फ युसूफ ने पकड़े जाने के बाद कई खुलासे किये, लेकिन बड़ा सवाल यह है की आतंक की फैक्ट्री लगाने के लिए आतंकी युसूफ को आर्थिक मदद कहा से मिल रही थी। दिल्ली से बलरामपुर पहुंची स्पेशल टीम ने युसूफ की निशानदेही पर कई लोगों को हिरासत में लिया और छापेमारी की। हिरासत में लिए गए लोगों से घण्टों पूछताछ करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। दिल्ली की स्पेशल टीम छानबीन करने में जुटी है कि आतंकी युसूफ को आर्थिक सहायता कहां से मिल रही थी। इससे वह इतनी बड़ी साजिश रच रहा था।