बहुबलियों के टक्कर की गवाह रह चुकी है श्रावस्ती लोकसभा 2004 के चुनाव में भाजपा ने बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह को श्रावस्ती लोकसभा से अपना उम्मीदवार बनाया। उनके सामने समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा में बाहुबली नेता रिजवान जहीर ने चुनाव लड़ा। रिजवान पूर्व में भी लगातार दो बार इसी सीट से चुनाव जीत चुके थे। लेकिन इस चुनाव में उन्हें शिकस्त खानी पड़ी। वहीं 2014 में समाजवादी पार्टी ने बाहुबली नेता अतीक अहमद को अपना प्रत्याशी बनाकर लोकसभा में उतारा। वहीं बसपा ने अपने कद्दावर नेता लाल जी वर्मा को श्रावस्ती लोकसभा से उम्मीदवार घोषित किया। लेकिन मोदी मैजिक के आगे वह भी नहीं टिक सके और भाजपा के दद्दन मिश्रा ने इस सीट पर जीत हासिल की।
जब दुबारा चर्चा में आया श्रावस्ती लोकसभा 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र एक बार फिर चर्चा में आया। मोदी सरकार पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की कर्मभूमि बलरामपुर से उनके जन्मभूमि ग्वालियर तक जोडऩे के मुहिम चलाई। जिसके बाद क्षेत्रवासियों को सुशासन एक्सप्रेस की सौगात मिली जो वाजपेई के कर्म भूमि को उनके जन्म भूमि से जोड़ती है। वहीं वाजपेई जी के देहांत होने पर श्रावस्ती लोकसभा एक बार फिर चर्चा का विषय बना और उनकी अस्थियों को यहां लाकर राप्ती नदी में प्रवाहित किया गया। वहीं योगी सरकार ने अटलजी की स्मृति में बलरामपुर में स्मारक बनाने की भी घोषणा की।