मामला गौरा थाना क्षेत्र के लिलवा धरमपुर गांव का है, जहां सड़ चुकी व्यवस्था का शिकार एक मासूम हो गयी। दरअसल मासूम कोमल घर में खेलते समय गिर पड़ी और उसका बायां हाथ टूट गया। पिता जगदीश अपनी बिटिया कोमल को लेकर पास के बाजार में दुकान चला रहे झोलाछाप डॉक्टर वासुदेव के पास ले गया। जहाँ झोलाछाप डॉक्टर ने जख्म का इलाज किये बिना ही प्लास्टर बांध दिया। कुछ दिन बाद मासूम के जख्म का हाथ सड़ता देख जगदीश बेटी को लेकर जिला अस्पताल भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल के डॉक्टर ने बच्ची की हालम गम्भीर देखते हुए उसे बहराइच जिला चिकित्सालय के लिये रेफर कर दिया। मासूम की जान बचाने के लिये बहराइच में डॉक्टरों को कोमल का हाथ काटना पड़ा ।
बेटी का हाथ कट जाने से पिता जगदीश अंदर से टूट चुका है। बेटी के भविष्य को लेकर बुने सपने चकनाचूर हो गए हैं। आँखों में बेबसी के आँसू रह रहकर छलक उठते हैं। मासूम कोमल भी डॉक्टर के नाम से ड़रने लगी है। गाँव के स्कूल में कक्षा दो में पढ़ने वाली कोमल इस घटना से टूट चुकी है। घटना का सबसे दुखद पहलू तो यह है कि इंसाफ के लिये पिता जगदीश अपनी मासूम बेटी को लेकर दौड़ रहा है, लेकिन मासूम का गुनाहगार झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान बन्द कर फरार है। स्वास्थ्य विभाग या जिले के आलाधिकारी या फिर कानून के लंबे हाथ इस गुनाहगार की गर्दन तक नहीं पहुँच पाए हैं। मामले में जब मीडिया ने अधिकारियों के जमीर को झकझोरा तब जाकर सीएमओ स्वतः संज्ञान लेकर मामले में एफआईआर दर्ज कराने को तैयार हुए।
सीएमओ डा. घनश्याम सिंह ने मीडिया के दखल के बाद स्वतः संज्ञान में लेते हुए फरार आरोपी झोलाछाप डाक्टर के खिलाफ गौरा थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है, लेकिन कार्रवाई कब तक होगी इसका कोई जवाब नहीं। सवाल ये भी उठता है कि कब तक सड़ चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था में खामियों का खामियाजा मासूम जिंदगियों को उठाना पड़ेगा और कब तक कोमल जैसी मासूम ऐसे झोलाछाप डाक्टरों का शिकार होती रहेंगी।